नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और आस पास के क्षेत्रों के लोगों को फिलहाल प्रदूषण से राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है. दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता आज भी 'ख़राब' कैटोगेरी में रही. दिल्ली के ज़्यादातर इलाक़ों में हवा की गुणवत्ता 200 से पार रही जो सेहत के लिए हानिकारक है. जब हवा की गुणवत्ता 201-300 के बीच पहुंचती है तो लोगों को सांस लेने में दिक्कतें होती हैं.


देश भर में जहां एक ओर कोरोना का खतरा व्यापक है ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना का ख़तरा भी बढ़ सकता है. वहीं पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या ने दिल्ली-एनसीआर वालों के लिए मुसीबत बढ़ा दी है. मौसम के जानकारों की मानें तो फिलहाल इससे राहत मिलती हुई नज़र नहीं आ रही है.


मौसम की जानकारी देने वाली स्काइमेट के अनुसार आने वाले बुधवार को हवा की गति धीमी होगी और तापमान में भी गिरावट होगी जिस वजह से दिल्ली-एनसीआर में  प्रदूषण बढ़ने का ख़तरा है. जब हवा की गति धीमी होती है तो उससे स्मॉग की समस्या पैदा होती है.


केंद्र सरकार के अधीन आने वाली संस्था  सफर की मानें तो इस बार पराली जलने के मामलों में भी बढ़ोतरी आई है. इस वजह से अक्टूबर के शुरू के हफ्ते से ही हवा ख़राब होने लगी. दिल्ली-एनसीआर के ज़्यादातर इलाक़ों में हवा की गुणवत्ता 200 से ऊपर बनी हुई है.


दिल्ली का आनंद विहार बना हुआ है हॉटस्पॉट


दिल्ली का आनंद विहार हर साल ही सबसे प्रदूषित इलाक़ों में आता है. केंद्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आज सुबह आनंद विहार की हवा की गुणवत्ता का स्तर 258 रहा. इसके बाद उसमें कोई खासा सुधार देखने को नहीं मिला. वहीं दिल्ली के द्वारका सेक्टर- 8 में ये स्तर 246 और आईटीओ में 203 रहा.


कल से दिल्ली में ‘रेड लाइट ऑन इंजन ऑफ कैम्पेन’


दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को थामने के लिए दिल्ली सरकार कल से रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान शुरू करेगी. दिल्ली की सड़कों पर हर रोज़ 30-40 लाख गाड़ियां दौड़तीं हैं और रेड लाइट पर रुकतीं हैं. इस दौरान इंधन की खपत भी ज़ाया होती है और प्रदुषण का ख़तरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लोगों से अनुरोध किया है कि रेड लाइट पर रुकते समय अपनी गाड़ियों के इंजन को रोक दें. इसके लिए दिल्ली सरकार राज्य के 100 मुख्य व्यस्त चौराहों पर 2500 मार्शल तैनात करेगी, जो लोगों से गाड़ी ऑफ रखने का अनुरोध करेंगे.


ऑड-ईवन लगना कितना मुमकिन?


हर साल जैसे ही प्रदूषण का स्तर खराब होने लगता है, दिल्ली सरकार ऑड-ईवन की पॉलिसी ले कर के आती है ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके. लेकिन इस बार चुनौतियां कम नहीं होंगी. दरअसल, पहले से ही दिल्ली मेट्रो और डीटीसी की बसों में यात्रियों की संख्या नियमित है ताकि समाजिक दूरी बनी रहे. इसलिए इस बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्या दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन पॉलिसी के आगे खड़ी हो सकती है.


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