नई दिल्ली: चुनाव रणनीतिकार और पूर्व जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का अगला कदम क्या होगा, ये सवाल चर्चा में है. इस सवाल का जवाब पीके आज दोपहर पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में देंगे. पीके के करीबी बताते हैं कि उन्होंने बिहार में अपनी भूमिका तय कर ली है. प्रशान्त किशोर किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे और न ही किसी पार्टी के लिए रणनीतिकार बनेंगे. जेडीयू ज्वाइन के बाद पीके ने युवाओं को राजनीति से जोड़ने को लेकर बैठक की थी. फॉर्म भरवाए थे. सूत्र बताते हैं कि ऐसे सदस्यों की संख्या तीन लाख के करीब है. पीके वो लिस्ट जारी कर सकते हैं. बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव में उनका रोडमैप क्या होगा और किन मुदों को वो उठाएंगे, ये भी बताएंगे.

करीबियों का कहना है कि फिलहाल पीके किसी पार्टी के साथ नहीं जाएंगे. हालांकि, महागठबंधन के कई नेता पीके के संपर्क में हैं. आरएलएसपी के नेता उपेंद्र कुशवाहा, हम के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, वीआईपी के नेता मुकेश सहनी, आरजेडी नेता लालू यादव समेत कांग्रेस के कई नेताओं से उनकी सीधी बातचीत हो रही है.

पीके के करीबियों का कहना है कि वे फिलहाल बिहार पर फोकस करेंगे और उन मुद्दों पर काम करेंगे जिनका जिक्र कोई नहीं कर रहा. जेडीयू से बाहर किए जाने से पीके आहत जरूर थे लेकिन वो नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं बोलेंगे बल्कि नीतीश के अधूरे काम को या नाकामी को कैसे ठीक करना है ये भी बता सकते हैं. पीके, नीतीश कुमार या सुशील मोदी पर सीधे अटैक करने से बचेंगे. करीबियों का कहना है कि प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव के साथ बिल्कुल नहीं दिखना चाहते. दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद प्रशान्त किशोर ने कहा था कि वह 18 फरवरी को बिहार आएंगे. प्रेस के जरिए अपनी बात रखेंगे. उन्होंने कहा था कि बिहार में जाकर अपनी पहली प्रतिक्रिया देंगे. अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रशान्त कौन-कौन से पत्ते खोलेंगे?

2014 लोकसभा चुनाव में चर्चा में आए थे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में चर्चा में आए थे जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान की जिम्मेदारी संभाली थी. चुनाव में पीएम मोदी को अपार सफलता मिली. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई. हालांकि पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली. प्रशांत किशोर ने साल 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के चुनावी कैंपेन की जिम्मेदारी संभाली. 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' जैसे नारे गढे. कहा जाता है कि लालू यादव और नीतीश कुमार को एक साथ लाने में भी प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई.

2015 में आरजेडी और जेडीयू ने मिलकर भारी जीत हासिल की और नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता चुना गया. हालांकि, एक साल बाद नीतीश कुमार आरजेडी से अलग हो गए और दोबारा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. सीएए और एनआरसी पर पार्टी लाइन से अलग बयान की वजह से जेडीयू ने प्रशांत किशोर को पार्टी से निकाल दिया.

प्रशांत किशोर की संस्था आई-पीएसी ने 2019 में ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी के लिए और आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम किया और दोनों ही दल सत्ता में हैं. प्रशांत किशोर ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए काम किया और उन्हें भी बंपर बहुमत मिला है. प्रशांत किशोर इन दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए काम कर रहे हैं.

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