भोपाल: सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर कमलनाथ की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार केंद्र के विरुद्ध खड़ी नजर आ रही है. कमलनाथ कैबिनेट ने पहले ही सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया था और अब एनपीआर को भी प्रदेश में ना लागू करने की घोषणा की है.

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, ‘‘मध्यप्रदेश में वह वर्तमान में एनपीआर लागू नहीं करने जा रहे.’’ इससे पहले केरल और पश्चिम बंगाल की सरकार एनपीआर को एनआरसी से जोड़ते हुए लागू करने से इनकार कर चुकी है.

उन्होंने कहा कि एनपीआर की जिस अधिसूचना की बात की जा रही है, वह 9 दिसम्बर 2019 की है. इस अधिसूचना के बाद केंद्र की सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) बनाया, ऐसे में जो एनपीआर अधिसूचित किया गया है, वह सीएए, 2019 के तहत नहीं किया गया है. कमलनाथ ने कहा कि अधिसूचना नागरिकता कानून -1955 की नियमावली-2003 के नियम 3 के तहत जारी की गई.

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मंत्री बोले- एनपीआर की अधिसूचना 2003 की 2019 की नहीं

मध्‍य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि एनपीआर की अधिसूचना नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत नहीं की गई है. एमपी में एनपीआर की अधिसूचना नागरिकता संशोधन अधिनियम-1955 की नियमावली 2003 के नियम 3 के तहत है. इसके अलावा सीएम कमलनाथ की ओर से इस संबंध में एक स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा गया है कि एनपीआर को मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जाएगा.

कांग्रेस विधयाक ने दी थी सरकार को चेतावनी

भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सोमवार दोपहर में धमकी दी थी कि यदि कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार एनपीआर लागू करने के अपने फैसले को वापस नहीं लेगी तो वह पूरे राज्य में अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

उन्होंने कहा था कि मुझे इस बात का बहुत दुख है, एनपीआर का गांधी परिवार से लेकर तमाम कांग्रेस नेता विरोध कर रहे हैं लेकिन उसके बाद भी सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है. मैं भी सरकार का हिस्सा हूं लेकिन मुझे इसकी जानकारी ही नहीं मिली. मसूद ने कहा कि उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने नोटिफिकेशन जारी किया है.