Coal Crisis In India: बिजली संकट से जूझ रही मोदी सरकार के लिए रविवार का दिन थोड़ा राहत भरा रहा. गर्मी का प्रकोप झेल रहे देश के कुछ हिस्सों में गर्मी से थोड़ी राहत मिलने की ख़बर आ रही है और इसका असर बिजली की मांग में कमी के रूप में दिखाई दे रहा है. इस बीच बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में भी तेज़ी लाई जा रही है ताकि कोयले का स्टॉक बढ़ाया जा सके. 


एक मई के लिए जारी सरकार के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, इस दिन बिजली की मांग क़रीब 10 हज़ार मेगावॉट कम रही. आंकड़ों के अनुसार 30 अप्रैल को देशभर में बिजली की अधिकतम मांग दोपहर 3 बजे 203947 मेगावॉट रही थी जबकि पीक आवर ( रात 8 बजे ) में ये मांग 186950 मेगावॉट रही. वहीं 1 मई को अधिकतम मांग घटकर 191216 मेगावॉट हो गई वहीं पीक आवर में ये मांग 177783 मेगावॉट रही. यानि 30 अप्रैल की तुलना में 1 मई को बिजली की मांग क़रीब 10 हज़ार मेगावॉट कम रही. 


30 अप्रैल को सबसे ज़्यादा मांग पश्चिमी हिस्से से आई जहां 66736 मेगावॉट की मांग दर्ज़ की गई तो 1 मई को भी पश्चिमी हिस्से से क़रीब 62626 मेगावॉट की मांग आई. 


सबसे राहत की बात ये रही कि जहां 30 अप्रैल को पीक आवर में बिजली की आपूर्ति मांग से 5816 मेगावॉट कम की गई वहीं 1 मई को ये अंतर महज 207 मेगावॉट का रह गया. इसकी एक बड़ी वजह रविवार को दफ़्तरों में छुट्टी और कुछ भागों में गर्मी में आई मामूली कमी को बताया जा रहा है. 


वहीं दूसरी तरफ़, कोयले की कमी का सामना कर रहे बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक बढ़ाने की कोशिशें भी लगातार जारी है. कोल इंडिया लिमिटेड के मुताबिक़, पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल के महीने में बिजली संयंत्रों को 16 फ़ीसदी ज़्यादा कोयले की आपूर्ति की गई है. 


इस साल अप्रैल में बिजली संयंत्रों को 4.97 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की गई जो पिछले साल अप्रैल की तुलना में 67 लाख टन ज़्यादा है. इस तरह बिजली संयंत्रों को रोज़ाना क़रीब 17 लाख टन कोयले की आपूर्ति की गई. कोल इंडिया के मुताबिक़ इस साल अप्रैल में कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. 


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