नई दिल्ली: डीएमके के संस्थापक करुणानिधि के निधन के बाद ही द्रमुक उत्तराधिकारी की जंग छिड़ गई है, क्योंकि उनके बेटे एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम के अलागिरी ने दावा किया है कि पार्टी के सभी कर्मठ और सच्चे कार्यकर्ता उनके साथ हैं. दरअसल करुणानिधि ने अलागिरी और उनके समर्थकों को छोटे बेटे एम एम के स्टालिन से झगड़ा करने पर 2014 में पार्टी से निकाल दिया था. तभी से तमिलनाडु के सबसे बड़े विपक्षी दल में अलागिरी और स्टालिन के बीच वर्चस्व की लड़ाई जगजाहिर हो गई थी.
फिलहाल स्टालिन द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और अब वह पार्टी की बागडोर संभालने को तैयार हैं. हालांकि अलागिरी ने आज मरीना बीच पर अपने पिता की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और दावा किया कि पार्टी के कार्यकर्ता उनके साथ हैं. अपने निष्कासन के बाद से मदुरै में मीडिया से दूर रहे अलागिरी ने कहा- ‘थलैवर कलाईनार के सभी सच्चे और निष्ठावान कार्यकर्ता मेरे साथ हैं और मेरा समर्थन कर रहे हैं. समय ही जवाब देगा’ अलागिरी ने कहा कि उन्होंने अपने पिता की समाधि पर प्रार्थना की और शिकायतें रखीं जिसे मीडिया फिलहाल नहीं जान पाएगा. तमिलनाडु की राजनीति में यह मोड़ ऐसे समय में आया है जब एक दिन बाद ही द्रमुक कार्यकारिणी समिति की बैठक करुणानिधि के निधन पर शोक प्रकट करने के लिए रखी गई है. माना जा रहा है कि इसी बैठक में स्टालिन के नाम पर पार्टी की महापरिषद द्वारा मुहर लगाई जाएगी और इसी के लिए यह बैठक रखी गई है. अलागिरी से जब बैठक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- ‘मैं द्रमुक में नहीं हूं और मुझसे इस बारे में मत पूछिए’ और जब उनसे द्रमुक में लौटने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- ‘मुझे पता नहीं’ अलागिरी और स्टालिन के बीच करुणानिधि की सियासी विरासत पाने को लेकर सालों से रस्साकशी चल रही है. अपने निष्कासन से पहले अलागिरी ने सवाल किया था कि क्या द्रमुक कोई मठ है जहां महंत अपने उत्तराधिकारी का अभिषेक करता है. हालांकि जब करुणानिधि अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे तब उनके परिवार ने एकजुटता दिखाई थी. अलागिरी अस्पताल में भी मौजूद रहे और उन्हें अंतिम संस्कार में भी देखा गया. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो करुणानिधि के जाने के बाद अब अलागिरी अपनी राजनीतिक ताकत की आजमाइश कर सकते हैं. तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में भी अलागिरी का काफी प्रभाव है क्योंकि निष्कासन से पहले वह दक्षिणी जिलों के महासचिव थे. निष्कासन के समय करुणानिधि ने अलागिरी के लिए कहा था- ‘उसके मन में स्टालिन के लिए एक अंजान सी नफरत भरी हुई है, अलागिरी ने यहां तक कह दिया कि स्टालिन तीन महीने में मर जाएगा. कोई भी पिता अपने पुत्र के लिए ऐसे शब्द बर्दाश्त नहीं कर सकता, लेकिन बतौर पार्टी प्रमुख मुझे उसे बर्दाश्त करना पड़ा’ हालांकि अलागिरी ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था.