Happy Birthday PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. अलग-अलग राज्यों में बीजेपी की यूनिट्स पीएम मोदी का जन्मदिन अपने-अपने हिसाब से मनाने वाली हैं. कई राज्यों में आज के दिन कुछ कार्यक्रमों का आयोजन भी होने वाला है. पीएम मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था. नरेंद्र मोदी दामोदरदास मोदी और हीराबा मोदी की छह संतानों में से तीसरे नंबर की संतान हैं. 


अपनी युवावस्था से ही पीएम मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रहे हैं. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 के दशक से हुई. हालांकि, 1990 से पहले तक उनके राजनीतिक करियर ने ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ी थी. पीएम मोदी के राजनीतिक जीवन के शुरुआती समय के कई किस्से काफी मशहूर हैं. ऐसा ही एक किस्सा 1990 का है, जब वह टिकट होते हुए भी ट्रेन के फर्श पर सो गए. आइए जानते हैं कि ये कहानी क्या है. 


क्यों ट्रेन की फर्श पर सोए पीएम मोदी?


दरअसल, पीएम मोदी के फर्श पर सोने का किस्सा लीना सरमा ने बताया, जो कभी रेलवे में 'सेंट्रल फॉर रेलवे इंफोर्मेशन सिस्टम' की जनरल मैनेजर थीं. उन्होंने द हिंदू में लिखे अपने एक आर्टिकल में बताया कि कैसे जब वह 'इंडियन रेलवे (ट्रैफिक)' प्रोबेशन पर थीं, तो उनका लखनऊ से दिल्ली तक का सफर काफी खराब रहा. लीना बताती हैं कि उस समय उनके और उनकी सहेली के साथ ट्रेन में कुछ नेताओं ने बदतमीजी की थी. उन्हें टिकट होने के बाद भी अपनी सीट छोड़नी पड़ी. 


लीना ने बताया कि उन्हें और उनकी सहेली को अहमदाबाद जाना था. मगर जब वह लखनऊ से दिल्ली पहुंची, तो उनकी सहेली ने आगे का सफर नहीं करने का फैसला किया. हालांकि, उन्हें एक उनकी एक बैचमेट मिल गई और फिर दिल्ली से अहमदाबाद तक के सफर की शुरुआत हुई. इस बार उनके पास टिकट भी नहीं था, क्योंकि समय कम होने की वजह से वह उनकी व्यवस्था नहीं कर पाईं. लेकिन टीटीई से बात करने पर दोनों को एक बोगी में बैठने की इजाजत मिल गई. 


हालांकि, जिस बोगी के कूप में दोनों को बैठाया गया, वहां पहले से ही दो नेता मौजूद थे. लीना अपनी पिछली यात्रा के अनुभव की वजह से डरी हुई थीं. हालांकि, टीटीई ने उन्हें आश्वासन दिया कि दोनों ही नेता बेहद अच्छे व्यक्ति हैं. कूप में पहुंचते ही दोनों नेताओं ने लीना और उनकी बैचमेट के लिए जगह बनाई. ये दोनों नेता और कोई नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी और शंकरसिंह वाघेला थे. इस सफर के दौरान राजनीति और इतिहास पर खूब बात हुई. 


लीना ने बताया कि रात के समय जब खाना आया, तो खुद पीएम मोदी ने चारों लोगों के खाने की पेमेंट की. खाना खाने के तुरंत बाद टीटीई आया और उसने लीना को बताया कि सोने के लिए सीट की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ये सुनते ही पीएम मोदी और शंकरसिंह वाघेला उठ खड़े हुए और कहा, 'कोई बात नहीं, हम व्यवस्था कर लेंगे.' उन्होंने तुरंत ट्रेन के फर्श पर कपड़ा बिछाया और उस पर सो गए, जबकि अपनी सीट उन्होंने लीना और उनकी बैचमेट को दे दिया.  


लीना कहती हैं कि ये पिछली ट्रेन यात्रा के अनुभव से बिल्कुल उलट था. जहां पिछली बार वह कुछ नेताओं के साथ सफर करने के दौरान डर रही थीं. वहीं अब वह ऐसे दो नेताओं के साथ सफर कर रही हैं, जिन्होंने उनके लिए अपनी रिजर्व सीट तक दे दी है. लीना ने बताया था कि उन्हें उस रात दोनों लोगों की मौजूदगी में बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था, क्योंकि वे बहुत सौम्य और नेकदिल इंसान थे. 


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