नई दिल्ली: भारतीय थल सेना ने लेह स्थित सैन्य अस्पताल के उस चिकित्सकीय केंद्र को लेकर हो रही आलोचनाओं को ‘‘दुर्भावनापूर्ण एवं निराधार’’ करार दिया है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलवान घाटी में चीनी जवानों के साथ झड़प में घायल हुए जवानों के साथ बातचीत की थी. थल सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे बहादुर सशस्त्र बलों के उपचार संबंधी सुविधाओं को लेकर आक्षेप लगाए जा रहे हैं. सशस्त्र बल अपने बलों को सर्वश्रेष्ठ उपचार देता है.’’
100 बिस्तरों वाला केंद्र ‘संकट के समय क्षमता के विस्तार’ का हिस्सा- सेना
सेना ने कहा, ‘‘कुल लोगों ने लेह स्थित जरनल अस्पताल के उस चिकित्सकीय केंद्र की स्थिति को लेकर दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए हैं, जहां तीन जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गए थे.’’ उसने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि 100 बिस्तरों वाला यह केंद्र ‘संकट के समय क्षमता के विस्तार’ का हिस्सा है और यह जनरल अस्पताल परिसर का हिस्सा है.’’
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सेना ने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत अस्पताल के कुछ वार्ड को पृथक-वास केंद्रों में तब्दील किया गया है. उसने कहा, ‘‘ इस कक्ष का इस्तेमाल ‘प्रशिक्षण दृश्य श्रव्य सभागार’ के रूप में किया जाता था. जब से अस्पताल को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए चिह्नित किया गया है, तब से इसे वार्ड में बदल दिया गया है.’’
सेना ने कहा, ‘‘घायल जवानों को गलवान से आने के बाद से वहां रखा गया है, ताकि उन्हें उस क्षेत्र से अलग रखा जा सके, जहां कोविड-19 के मरीजों का उपचार हो रहा है. सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और सेना के कमांडर भी इसी स्थान पर घायल बहादुरों से मिलने गए थे.’’
पीएम मोदी ने शुक्रवार को अचानक किया था लद्दाख का दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का अचानक दौरा कर चीन के साथ सीमा विवाद से निपटने में भारत की दृढ़ता का संकेत दिया था. मोदी ने उन जवानों से बातचीत की थी जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. उन्होंने जवानों से कहा कि उनकी बहादुरी आगामी समय में प्रेरणा स्रोत बनेगी.
घायल जवानों के साथ मोदी के बातचीत संबंधी फोटो जारी किए जाने के बाद ट्विटर पर चिकित्सकीय केंद्र को लेकर कई लोगों ने टिप्पणियां की थीं. लोगों ने ट्वीट किए थे कि यह चिकित्सकीय केंद्र अस्पताल की तरह नहीं दिखता, क्योंकि इसमें चिकित्सकीय उपकरण और सुविधाएं नहीं हैं. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीनी पक्ष के जवान भी हताहत हुए हैं, लेकिन चीन ने उनकी जानकारी नहीं दी है.
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