आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इकोनॉमिक टाइम्स में एक लेख लिखा है. पीएम ने उन्हें वसुधैव कुटुम्बकम के जीवंत प्रतीक के तौर पर याद किया है. पीएम ने लिखा कि मोहनजी के परिवार से पुराना संबंध रहा है. उन्होंने मोहनजी के पिता मधुकरराव भागवत के साथ कार्य किया है, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'ज्योतिपुंज' में भी किया है. 

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पीएम मोदी ने लिखा कि आज 11 सितंबर है और यह दिन दो विपरीत यादें ताज़ा करता है. पहली याद 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना प्रतिष्ठित भाषण दिया था, अमेरिका के बहनों और भाइयों शब्दों से उन्होंने हॉल में मौजूद होज़ारों लोगों का दिल जीत लिया था. दूसरी याद 9/11 के हमलों की है, जब आतंकवाद और कट्टरपंथ के कारण इसी सिद्धांत पर हमला हुआ था.

पीएम मोदी ने मोहन भागवत को दी शुभकामनाएं पीएम मोदी ने लिखा कि आज एक ऐसे व्यक्तित्व का जन्मदिन है, जिन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित होकर अपना जीवन सामाजिक परिवर्तन और सद्भाव व बंधुत्व की भावना को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लाखों लोग उन्हें परम पूज्य सरसंघचालक के रूप में जानते हैं. जी हां, मैं मोहन भागवतजी की बात कर रहा हूं, जिनका 75वां जन्मदिन उसी वर्ष पड़ रहा है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी शताब्दी मना रहा है. मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं और उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं.

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RSS चीफ के परिवार से बताया गहरा नाताRSS चीफ के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने लिखा कि मोहनजी के परिवार से मेरा गहरा नाता रहा है. मैंने मोहनजी के पिता दिवंगत मधुकरराव भागवतजी के साथ काम किया है. कानूनी जगत से जुड़े होने के साथ-साथ उन्होंने स्वयं को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया और पूरे गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मजबूत करने में मदद की. राष्ट्र निर्माण के प्रति मधुकरराव जी का जुनून इतना था कि इसने उनके पुत्र मोहनराव को भारत के पुनरुत्थान के लिए काम करने के लिए तैयार किया. मानो पारसमणि मधुकरराव ने मोहनराव में एक और पारसमणि तैयार कर दी.

पीएम मोदी ने लिखा कि मोहनजी 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने. 'प्रचारक' शब्द सुनकर शायद किसी को लगे कि यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है, जो प्रचार कर रहा है या विचारों का प्रचार कर रहा है, लेकिन प्रचारक परंपरा संगठन के कार्य के मूल में रही है. पिछले 100 वर्षों में हज़ारों युवाओं ने 'भारत प्रथम' के मिशन को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया.

इमरजेंसी का जिक्र कर क्या कहाउन्होंने लिखा कि उनके (मोहन भागवत) के शुरुआती आरएसएस के कार्यकाल भारतीय इतिहास के एक काले दौर से मेल खाते थे. यह वह समय था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लागू किया था. लोकतांत्रिक सिद्धांतों में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति के लिए आपातकाल विरोधी आंदोलन को मज़बूत करना स्वाभाविक था. मोहनजी और आरएसएस के स्वयंसेवकों ने यही किया. उन्होंने महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों, खासकर विदर्भ में, गरीबों की चुनौतियों को समझते हुए काम किया.

मोहन भागवत के कार्यों को गिनायापीएम मोदी ने लिखा कि भागवतजी ने आरएसएस में विभिन्न पदों पर कार्य किया. 1990 के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहनजी के कार्यकाल को कई स्वयंसेवक स्नेहपूर्वक याद करते हैं. इस दौरान उन्होंने बिहार के गांवों में काम करते हुए, ज़मीनी स्तर पर अपने जुड़ाव को और गहरा किया. 2000 में वे सरकार्यवाह बने और जटिल परिस्थितियों को सहजता से संभाला.

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