UP Police Action Against PFI: पीएफ़आई मामले में यूपी पुलिस को जांच और आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई चौकाने वाली जानकारियां मिली हैं. एजेंसियों को पता चला है कि यूपी में पीएफआई लगभग ढाई सौ सेंटर्स अपने या उससे जुड़े हुए संगठन के नाम से चला रहा था. इनमें लखनऊ, बाराबंकी, बहराइच, आज़मगढ़, गोण्डा, मुज़फ़्फ़रनगर, अलीगढ़, मेरठ आदि ज़िले प्रमुख हैं. यह साबित करता है कि पीएफ़आई अपने ख़तरनाक मंसूबों के साथ तेज़ी से अपना विस्तार कर रहा था.


बम बनाने की भी देते थे ट्रेनिंग


पता चला है कि पीएफ़आई में जो सदस्य शामिल होते थे उनको शारीरिक रूप से दक्ष बनाया जाता था. इसके लिए कई तरह की खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होता था. इसके अलावा तत्काल बम और विस्फोटक बनाने के तरीक़े भी सिखाए जाते थे. गिरफ़्तार लोगों के पास से आईएसआईएस से संबंधित साहित्य और दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिसमे इराक और सीरिया में हुई घटनाओं का ज़िक्र है.


चंदा और युवा छात्रों पर ज्यादा फोकस


पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पीएफ़आई मुसलमानों में भी कई कैटेगरी बनाता था. कुछ मुस्लिम युवकों को वो सिर्फ और सिर्फ चंदा लेने के लिए टारगेट करता था, जिससे अपने संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके. इसके बाद वो सबसे ज्यादा छात्रों पर ध्यान देता था जो मुस्लिम युवाओं को पीएफ़आई से जोड़ सकें. मुस्लिम युवक मदरसों में जाकर दीनी तालीम लें ये पीएफ़आई के एजेंडे में ऊपर होता था. जांच में यह भी पता चला है कि पीएफ़आई के लोग इस्लाम से जुड़ी बातें अपने एजेंडे के हिसाब से जोड़तोड़ करके बताते थे ताकी अपने एजेंडे को चलाने मे मदद मिल सके.


यूट्यूब चैनल से भी भड़काने का काम


लखनऊ से गिरफ्तार अहमद बेग जिकरा नाम से खुद का यूट्यूब चैनल चलाता था और इसमें वो काफी तक़रीरे भी करता था. खुद को मोटिवेशनल स्पीकर बताने वाला बेग अपने जिहादी भाषणों से मुस्लिम युवाओं को भड़काने का काम भी करता था, ताकी टारगेट को आसानी से कट्टरपंथी बनाया जा सके. पीएफ़आई अपने जिहादी मिशन में लड़कों को भर्ती करने के बाद उनको अपनी पॉलिटिकल विंग में भी ट्रेनिंग देता था, ताकि उनको लोगों को जोड़ने मे ज़रा भी कठिनाई न हो.


टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्रों से भी मदद


सूत्रों ने यह भी बताया कि लखनऊ की एक टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र भी इन लोगों की मदद कर रहे थे ताकी सोशल मीडिया पर भी पीएफ़आई अपना एजेंडा तेजी के साथ फैला सके. पूछताछ में यह भी पता चला है की पीएफ़आई अपने पास वकीलों की भारी भरकम फ़ौज भी रखता था. पिछले एक साल में अलग-अलग माध्यम से पीएफ़आई ने यूपी पुलिस के खिलाफ करीब बीस रिट भी दायर की जिनमे 16 रिट तो यूपी एसटीएफ़ के ही खिलाफ थीं.


जेल में भी दूसरों को जोड़ने का रखते थे लक्ष्य


पूछताछ में यह भी पता चला है कि पीएफ़आई अपने सदस्यों को इस बात के लिए भी ट्रेंड करता था कि अगर वो जेल भी चले जाएंगे तो वहां भी दूसरे कैदियों को पीएफ़आई से जोड़ने के लिए मोटिवेट करेंगे.


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