रामनवमी पर छात्रों के दो गुटों के बीच संघर्ष के मामले पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा, आम लोगों के बीच यह धारणा है कि हम टुकड़े-टुकड़े हैं. लेकिन जब से मैंने पद संभाला है तो कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा है. हम भी बाकी लोगों की तरह राष्ट्रवादी हैं. 


उन्होंने कहा, मुद्दा इस बात पर उठा था कि  क्या राम नवमी पर हवन होना चाहिए और खाने के मेन्यू में क्या हो. दो गुटों का अपना-अपना पक्ष है. प्रॉक्टोरियल जांच का आदेश दिया गया था और हम रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं, यह एक निष्पक्ष जांच होगी.   


उन्होंने कहा, जेएनयू फ्री यूनिवर्सिटी है. हम हर किसी की पसंद का सम्मान करते हैं. युवा लोगों के अपने पक्ष होते हैं और हम विविधता की तारीफ करते हैं. लेकिन हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. 


रामनवमी पर छात्रों के दो समूहों के बीच संघर्ष के मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को जेएनयू से रिपोर्ट मांगी है, वहीं यूनिवर्सिटी के छात्र संघ ने मामले में किसी हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई वाले आयोग से स्वतंत्र न्यायिक जांच कराने की मांग की है. जेएनयू के कावेरी छात्रावास में रविवार को वामपंथी छात्र संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े दो समूहों के बीच ‘मेस’ में रामनवमी पर कथित तौर पर मांसाहारी भोजन परोसे जाने को लेकर झड़प हो गई थी.


पुलिस के अनुसार इस झड़प में 20 छात्र घायल हो गये थे. यूजीसी के अध्यक्ष और जेएनयू के पूर्व कुलपति जगदीश कुमार ने कहा कि यूनिवर्सिटी परिसरों में किसी भी तरह की हिंसा से बचा जाना चाहिए.


सोमवार को दोनों छात्र गुटों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. वहीं जेएनयू के प्राधिकारियों ने दावा किया कि संघर्ष उस समय हुआ जब कुछ छात्रों ने ‘हवन’ का विरोध किया. ऐसा ही आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एबीवीपी ने लगाया है. हालांकि वाम समर्थित छात्र संगठनों की अगुवाई वाले जेएनयू छात्र संघ ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों ने मेस में मांसाहारी भोजन परोसे जाने का विरोध करते हुए छात्रों पर हमला किया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालात शांत होने पर पुलिस पीड़ितों के बयान दर्ज करेगी.


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