Parliament Winter Session: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को सदन को बताया कि भारत सरकार ने आजादी के बाद से जनगणना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अलावा जातिवार आबादी की जनगणना नहीं की है. संसद सदस्यों ने 2021 की प्रस्तावित जनगणना की वर्तमान स्थिति पर प्रश्न पूछे हैं और पूछा है कि क्या सरकार प्रस्तावित जनगणना में जाति और उप-जाति सहित पर्यायवाची आधारित जनगणना कराने पर विचार कर रही है.


इन सवालों के जवाब में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार की जनगणना 2021 आयोजित करने की मंशा 28 मार्च, 2019 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित की गई थी. लेकिन कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण, जनगणना 2021 और संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है.


एससी-एसटी के अलावा जातिवार जनगणना नहीं की गई


नित्यानंद राय ने संसद को बताया कि समय-समय पर संशोधित संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश 1950 के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में विशेष रूप से अधिसूचित जातियों और जनजातियों की जनगणना को सूचीबद्ध किया गया है. भारत सरकार ने आजादी के बाद से जनगणना में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातिवार जनसंख्या की गणना नहीं की है.


जनगणना के लिए 8754.23 करोड़ रुपये की राशि को दी गई है मंजूरी


राय ने ये भी बताया कि जनगणना 2011 के आंकड़ों के आधार पर भारत और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में वर्ष 2011-2036 के जनसंख्या अनुमान राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गई जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट में उपलब्ध हैं. प्रस्तावित जनगणना पर खर्च होने वाली संभावित धनराशि का विवरण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत की जनगणना 2021 की कवायद के लिए 8754.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.


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