Parliament Winter Session Day 6: 'वंदे मातरम् को जिन्ना के चश्मे से देखा...', संसद में बहस के दौरान राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर अटैक
Parliament Winter Session Day 6: प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर कहा, 'हमें गर्व से कहना चाहिए, फिर दुनिया भी मानना शुरू करेगी. ये ऊर्जा, सात्विकता, समर्पण, आजादी का मंत्र था.'
बैकग्राउंड
संसद के शीतकालीन सत्र का सोमवार (8 दिसंबर) को छठा दिन है. लोकसभा में वंदे मातरम पर लंबी चर्चा होनी है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. उन्होंने लोकसभा...More
वंदे भारत पर बहस के दौरान संसद में ओवैसी ने कहा, "मुझे इस वतन से बहुत मोहब्बत है. इसके बावजूद हमें, हमारे कपड़ों को निशाना बनाया जाता है. हुकूमत वंदे मातरम् को लेकर जबरदस्ती न करे."
वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान सपा सांसद इकरा हसन ने कहा, "भारतीय मुसलमानों को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है."
संसद में वंदे मातरम पर चर्चा को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को विवादास्पद बनाने की कोशिश की जा रही है. यह चर्चा कभी नहीं होनी चाहिए थी."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "वंदे मातरम् और जन गण मां भारती के दो सपूतों की किलकारियां हैं, दो आंखे हैं. वंदे मातरम् और जन गण दोनों ही राष्ट्रीय गौरव है. जो लोग ना सभ्यता के मूल को समझते हैं, जो लोग ना संस्कृति के महत्व को स्वीकारते हैं, जिन्होंने परंपराओं को दरकिनार किया, वो लोग ना पहले समझ सके थे, ना अब समझ पा रहे हैं."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "महात्मा गांधी ने कहा था कि वंदे मातरम् में कोई दोष नहीं है. इसे सुनकर ऐसा नहीं लगता है कि ये हिंदुओं का गीत है. वंदे मातरम् को सांप्रदायिक बताना पूरी तरह राजनीतिक कारण था."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "कुछ दलों के नेता जब चुनाव हारते हैं तो पूरी संवैधानिक संस्था को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं. संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करना कांग्रेस की लंबी राजनीति का हिस्सा है."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "वंदे मातरम् से कुछ पंक्तियों को निकालने का समर्थन करने वालों से मैं पूछना चाहता हूं किस संदर्भ में, किस भावना से इसे निकाला गया. किस भावना से उन्हें वंदे मातरम् की ये पंक्तियां सांप्रदायिक लगी. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वे वंदे मातरम् को जिन्ना के जश्मे से देख रहे हैं."
लोकसभा में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आज, जब हम वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी ने इसके बारे में बात की है और इस चर्चा की एक सुंदर शुरुआत की है. वंदे मातरम् भारत के वर्तमान, अतीत और भविष्य का एक अभिन्न अंग है. इसने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश शासकों के खिलाफ खड़े होने और लड़ने की ताकत दी. यह एक ऐसा गीत है जिसने हमारे देश को जागृत किया और प्रेरणा का स्रोत बना. यह गीत ब्रिटिश संसद तक भी पहुंचा."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "वंदे मातरम् हमारी राष्ट्रीय एकता का सूत्र है. यह सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं था. कांग्रेस ने वंदे मातरम् को खंडित किया."
लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा, "1905 में धरती से लेकर आसमान तक वंदे मातरम् गूंजा था. वंदे मातरम् ने देश के अंदर चेतना जगाई."
वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "हिम्मत है तो सरकार पेपरलीक पर बात करे. बेरोजगारी, गरीबी, प्रदूषण पर बहस कीजिए."
प्रियंका गांधी ने कहा, "पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के लिए जिए और देश के लिए ही उन्होंने दम तोड़ा. जितने दिनों तक मोदी जी प्रधानमंत्री रहे, करीब उतने ही दिन नेहरू जेल में रहे."
कांग्रेस सासंद ने कहा, "रवींद्र नाथ टैगोर ने वंदे मातरम कांग्रेस के अधिवेशन में गाया, इसका जिक्र पीएम ने नहीं किया. 1882 में बंकिम चंद्र चटर्जी का उपन्यास आनंद मठ प्रकाशित हुआ. इसमें अंतरे जोड़े गए. 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगाोर ने पहली बार ये गीत गाया. 1905 में बंगाल विभाजन के वक्त ये एकता की गुहार बनकर उठा."
कांग्रेस सासंद ने कहा, "बंगाल में चुनाव के कारण वंदे मातरम पर बहस कराई जा रही है. इसका मकसद पुराने नायकों पर आरोप लगाना है. सरकार लोगों को बांटना चाहती है."
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "पीएम मोदी भाषण बहुत अच्छा देते हैं. एक कला उनमें और है कि तथ्यों को कैसे जनता के सामने पेश किया जाए. मैं जनता की प्रतिनिधि हूं, कलाकार नहीं हूं. वे (पीएम मोदी) भाषण अच्छा देते हैं, लेकिन तथ्यों में कमजोर हैं."
लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "आज ये चर्चा एक भावना के ऊपर है. जब हम वंदे मातरम का नाम लेते हैं तो हमें उस स्वतंत्रता संग्राम के पूरे इतिहास की याद आती है. वंदे मातरम के आगे ब्रिटिश साम्राज्य झुका. आजादी के 75 साल बाद इस बहस की क्या जरूरत है. ये हमारा राष्ट्रगीत है इस पर क्या बहस हो सकती है."
अनुराग ठाकुर ने कहा, "कुछ लोगों के पास इस महापाप से प्रायश्चित करने का अवसर है. हम नेहरू जी को बदनाम नहीं कर रहे हैं, हम सच्चाई देश के सामने ला रहे हैं. राहुल गांधी एक लाइन तक सीमित कर रहे हैं. मुझे नहीं पता कि ये इसका विरोध क्यों कर रहे हैं. क्या वंदेमातरम इच्छा, अनिच्छा का हो सकता है. 2009 में वोट बैंक की राजनीति के लिए पी चिदंबरम देवबंद गए थे और वहां पर वंदे मातरम के विरोध में resolution pass हुआ. अखिलेश यादव कहते हैं कि बच्चों के अधिकार है कि वो कौन सा गाना सुने, सर ये फिल्मी गाना नहीं है, ये राष्ट्र गीत है."
लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के दौरान बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, "वंदे मातरम ने देश को एकजुट करके रखा है. यह देश की आत्मा, भारतीय संस्कृति का गीत है. कांग्रेस इससे भयभीत है. अंग्रेजों को वंदे मातरम से दिक्कत थी. जिन्न को वंदे मातरम से दिक्कत थी. जिन्ना के मुन्ना को वंदे मातरम से दिक्कत है."
लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के दौरान जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा, "वंदे मातरम सिर्फ शब्द या गीत नहीं है. यह हमारे लाखों लोगों की आकांक्षाओं का जीवंत प्रतीक है."
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने संसद में वंदे मातरम पर बहस पर कहा, "150 साल बाद वंदे मातरम पर बहस की जरूरत पड़ी? देश को आजाद हुए 75 साल हो गए, तब न तो इन्होंने और न ही जनसंघ ने कभी यह मुद्दा उठाया और फिर यह किसका प्रस्ताव था? रवींद्रनाथ टैगोर का था. बीजेपी रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान करने की कोशिश कर रही है. वे जवाहरलाल नेहरू को गाली देते रहते हैं, लेकिन अब उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर का भी अपमान करना शुरू कर दिया है."
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "मोदी जी, फेंकिये मत यह बताइए कि आप लोगों ने आजादी की लड़ाई क्यों नहीं लड़ी? आप लोग अंग्रेजों के लिए मुखबिरी क्यों करते थे? आप लोगों ने संविधान क्यों जलाया? आप लोगों ने 53 साल तिरंगा क्यों नहीं फहराया? आप लोग शाखाओं में वंदे मातरम् क्यों नहीं गाते?"
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, 'वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर सदन में हुई चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता को वंदे मातरम के इतिहास, वंदे मातरम के सांस्कृतिक महत्व की जानकारी दी. उनका भाषण एक ऐतिहासिक दस्तावेज बना है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा भी देगा और जानकारी भी देगा. वंदे मातरम करोड़ों भारतवासियों के लिए एनर्जी है तो कुछ लोगों के लिए एलर्जी है. कुछ लोग आज सदन में नजर नहीं आए. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज सदन में मौजूद नहीं थे.'
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर कहा, 'वंदे मातरम् को 150 वर्ष पूरे हुए हैं, जब आजादी का आंदोलन चल रहा था तब वंदे मातरम् ने देश को जागृत करने का काम किया था. वंदे मातरम् का किसी को विरोध करने की आवश्यकता नहीं थी चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कोई भी हो लेकिन मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया और कांग्रेस ने उनका साथ दिया, इसलिए बाद में भारत-पाकिस्तान का विभाजन भी हुआ.'
लोकसभा में वंदे मातरम पर शुरू हुई चर्चा के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, 'वंदे मातरम आजादी की लड़ाई का प्रेरणा स्रोत था, जिसने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया और लड़ने की ताकत दी. रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाए जाने के बाद यह गीत लोकप्रिय हुआ और स्वदेशी आंदोलन की आवाज बन गया.'
उन्होंने कहा, 'सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे हर चीज को अपने नाम करना चाहते हैं, जबकि वंदे मातरम किसी पार्टी या व्यक्ति की संपत्ति नहीं बल्कि पूरे देश की भावना है. जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे वंदे मातरम का महत्व क्या समझेंगे? कुछ लोग अंग्रेजों के लिए मुखबिरी करते थे, आज वे खुद को राष्ट्रवादी बताते हैं.'
गौरव गोगोई ने कहा, 'मोदी जी का उद्देश्य एक राजनीति रंग देने का था. उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी और पंडित नेहरू जी का जिक्र किया. मेरे पास टेबल है कि मोदी जब भी किसी विषय पर बोलते हैं तो वे पंडित नेहरू और कांग्रेस का नाम कितनी बार लेते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में पंडित जी का नाम 14 बार लिया. कांग्रेस पार्टी का 50 बार नाम लिया. आप चाहे जितनी भी कोशिश कर लो आप नेहरू जी के योगदान पर काला दाग नहीं लगा पाओगे.'
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, 'मुस्लिम लीग कहती थी कि पूरे वंदे मातरम का बहिष्कार करना चाहिए. मुस्लिम लीग को ये अधिकार कहां से मिला. क्या उनके हिसाब से देश चलेगा, नहीं. कतई नहीं. मौलाना आजाद ने साफ कहा कि मुझे वंदे मातरम में कोई आपत्ति नहीं है. ये फर्क था मौलाना आजाद और मुस्लिम लीग के जिन्ना के बीच में. लाख दबाव में भी ये निर्णय लिया गया कि जहां भी कोई कॉन्फ्रेंस होगी, हम पहली दो लाइन गाएंगे.'
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने वंदे मातरम पर कहा, 'झंडा ऊंचा रहे हमारा, इंकलाब जिंदाबाद, जय हिंद, सत्यमेव जयते, भारत छोड़ो जैसे कई गीत और नारे थे, जिन शब्दों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में भारत के समाज को ताकत दी. मंगल पांडेय का जो विद्रोह था, उसकी विफलता के बाद भारत में एक बेचैनी थी और अंग्रेजों का जुल्म बढ़ गया था.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज भी 15 अगस्त, 26 जनवरी, हर घर तिरंगा की बात आती है. चारों तरफ देशभक्ति और वंदे मातरम का भाव दिखता है. वंदे मातरम केवल गीत या भाव गीत नहीं, ये प्रेरणा है. राष्ट्र के लिए झकझोरने वाला गान है. पूज्य गांधी ने जो भाव प्रकट किया था, वो भाव आज भी मौजूद है. ये भाव आज भी हमें जोड़ता है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''नेहरू जी कहते हैं - मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है. मुझे लगता है ये जो बैकग्राउंड है, इससे मुस्लिम भड़केंगे. इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्टूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कोलकाता में होगी. जिसमें वंदे मातरम के उपयोग की समीक्षा की जाएगी.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''1937 में जिन्ना ने इसका विरोध किया. जवाहर लाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा, बजाय कि नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को तगड़ा जवाब देते, उल्टा उन्होंने वंदे मातरम की ही पड़ताल शुरू कर दी. जिन्ना के विरोध के पांच दिनों बाद ही 20 अक्टूबर को नेहरू जी नेता जी को चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में नेहरू जी जिन्ना की भावना से सहमति दिखाते नजर आए.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ. ये अन्याय क्यों हुआ. वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई. जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीट दिया. हमें उन परिस्थितियों को भी हमारी नई पीढ़ियों को जरूर बताना चाहिए.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''लंदन के इंडिया हाउस में वीर सावरकर ने वंदे मातरम गीत गाया. वहां ये गीत बार-बार गूंजता था. वंदे मातरम के नाम से अखबार निकाले गए. अंग्रेजों ने रोक लगा दी. भीकाजी कामा ने पेरिस में अखबार निकाला, उसका नाम भी वंदे मातरम रखा. वंदे मातरम ने भारत को स्वावलंबन का रास्ता भी दिखाया.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''देशवासियों को गर्व होना चाहिए. दुनिया के इतिहास में कहीं पर भी ऐसा कोई काव्य नहीं हो सकता, ऐसा कोई भाव गीत नहीं हो सकता, जो सदियों तक एक लक्ष्य के लिए कोटि-कोटि जनों को प्रेरित करता हो और जीवन आहूत करने के लिए लोग निकल पड़ते हों.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''हमारे देश के बालक भी पीछे नहीं थे. छोटी छोटी उम्र में जेल में बंद कर दिया जाता, कोड़े मारे जाते. लगातार वंदे मातरम के लिए प्रभात फेरी निकलती थी. अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. तब वहां बच्चे कहते थे - हे मां संसार में तुम्हारा काम करते और वंदे मातरम कहते जीवन भी चला जाए, तो वो जीवन भी धन्य है. ये गीत उन बच्चों की हिम्मत का स्वर था. बंगाल की गलियों से निकली आवाज देश की आवाज बन गई थी.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''अंग्रेजों ने वंदे मातरम बोलने पर सजा के कानून लागू कर दिए थे. इस प्रतिबंध के विरोध में बारिसाल की एक वीरांगना सरोजनी बोष ने उस जमाने में कहा था कि वंदे मातरम पर जो प्रतिबंध लगा है, जब तक ये प्रतिबंध नहीं हटता है, मैं अपनी चूड़ियां निकाल दूंगी. भारत में वो एक जमाना था. चूड़ी निकालना, यानी महिला की जीवन की बड़ी घटना. उन्होंने सोने की चूड़ी हटा ली.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''वंदे मातरम का जन-जन से जुड़ाव था इससे ये हमारी स्वतंत्रता संग्राम की लंबी गाथा अभिव्यक्त होती है, जैसे किसी नदी की चर्चा होती है. उस नदी के साथ एक सांस्कृतिक धारा प्रवाह, एक विकास यात्रा का धारा प्रवाह उसके साथ जुड़ जाता है. क्या कभी किसी ने सोचा है कि आजादी की पूरी यात्रा वंदे मातरम की भावनाओं से जुड़ा था. ऐसा भाव काव्य शायद दुनिया में कहीं उपलब्ध नहीं होगा. अंग्रेज समझ चुके थे कि लंबे समय तक भारत में टिकना मुश्किल है.''
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा, ''वंदे मातरम स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया. वंदे मातरम हर भारतीय का संकल्प बन गया. 'त्वम ही दुर्गा, दश प्रहर धारिणी, कमला कमल दल विहारिणी, वाणी विद्या दायिनी, नमामि त्वाम... सुजलाम, सुफलाम मातरम, वंदे मातरम!' अर्थात भारत माता ज्ञान और समृद्धि की देवी भी हैं और दुश्मनों के सामने अस्त्र शस्त्र धारण करने वाली चंडी भी हैं.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''वंदे मातरम सिर्फ केवल राजनैतिक आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था, सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर चलें - ये सिर्फ इसकी प्रेरणा नहीं देता था, इससे कहीं आगे था. आजादी की लड़ाई इस मातृभूमि को भी मुक्त कराने की जंग थी.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''देश आत्मनिर्भर बने. 2047 में विकसित भारत बनाकर रहें. इस संकल्प को दोहराने के लिए वंदे मातरम बहुत बड़ा अवसर है. वंदे मातरम की इस यात्रा की शुरुआत बंकिम चंद्र जी ने 1875 में की थी. गीत ऐसे समय लिखा गया था जब 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी. भारत पर जुल्म जारी था. उस समय जो उनका राष्ट्रीय गीत था - 'गॉड सेव द क्वीन' - इसको घर घर पहुंचाने का षडयंत्र चल रहा था.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''गर्व की बात है कि वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं. एक ऐसा काल खंड, जो हमारे सामने इतिहास की अनगिनित घटनाओं को सामने लेकर आता है. ये चर्चा सदन की प्रतिबद्धता को तो प्रकट करेगा ही, आने वाली पीढ़ी के लिए भी शिक्षा का कारण बन सकती है.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''वंदे मातरम के 100 साल पूरे हुए तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था. जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ तब देश भक्ति के लिए जीने मरने वाले लोगों को सलाखों में बंद कर दिया गया था. तब एक काला कालखंड उजागर हुआ.''
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश की आजादी के आंदोलन को ऊर्जा दी थी, प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम का पुण्य स्मरण करना हमारा सौभाग्य है. गर्व की बात है कि वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं.''
लोकसभा में विपक्ष इंडिगो पर चर्चा कराने की मांग कर रहा है. गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार क्या कर रही है? उन्होंने कहा, ''लोग अपनी जरूरत के कामों पर नहीं जा पा रहे, कहां गया था कि हवाई चप्पल वाला भी चलेगा लेकिन क्या हालात बने हुए हैं. हम चाहेंगे कि सरकार इस मसले पर जवाब दे.''
लोकसभा स्पीकर ने कहा कि मंत्री अभी राज्यसभा में हैं. आप कहेंगे तो आज या कल इस पर विस्तृत जवाब देंगे.
लोकसभा में विपक्ष जमकर हंगामा कर रहा है. इंडिगो संकट को लेकर बवाल किया जा रहा है. अब से कुछ ही देर बाद वंदे मातरम पर भी चर्चा होगी.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने CPI के जनरल सेक्रेटरी डी राजा के बयान पर कहा, "वंदे मातरम् देशभक्ति की भावना का गीत है, जिसे गाते हुए हज़ारों क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस धरती पर हमने जन्म लिया उस भारत मां की वंदना को विवादास्पद बनाकर हटा दिया गया. आज समय आ गया है कि भारत माता की वंदना को हर जगह गाया जाए, इसका विरोध करना बेकार है."
भाजपा सांसद अरुण गोविल ने कहा, "वंदे मातरम् पर कई बार सवाल उठाए जाते रहे हैं इसलिए भाजपा ने यह तय किया कि इस पर चर्चा होनी चाहिए. यह मूल रूप से चर्चा नहीं है बल्कि उसके बारे में बताया जाए कि हमारे देश के लिए वंदे मातरम् क्या है. वो हमारे देश की संस्कृति है, गर्व है, इतिहास है इसलिए भाजपा ने तय किया है कि इसके बारे में सबको बताया जाए."
भाजपा सांसद कंगना रनौत ने संसद में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा पर कहा, "यह देश के लिए गर्व की बात है कि जो गीत स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी बनकर उठा और जिसने पूरा ब्रिटिश साम्राज्य को भस्म कर दिया उसे आज उसका श्रेय मिल रहा है. बाद में कांग्रेस सरकारों ने गीता से दुर्गा माता का पूरा हिस्सा हटा दिया. वह पार्टी हमेशा से महिला विरोधी रही है."
भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा पर कहा," बहुत अच्छा है. वंदे मातरम् गान ने सभी को प्रेरित किया है और वंदे मातरम् देश की आजादी का प्रतीक बन गया था, उसको 150 साल हो रहे हैं. देश की आजादी में वंदे मातरम् का किस तरह से योगदान रहा और तमाम विषयों पर चर्चा होगी."
केंद्र सरकार ने डॉलर के मुकाबले गिरती रुपए की कीमत पर प्रतिक्रिया दी है. वित्त राज्य मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत बाजार पर आधारित है. इसकी रेंज निर्धारित नहीं की जा सकती है. जब वे जवाब दे रहे थे, तब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं.
राज्यसभा में पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं लोकसभा में प्रश्नकाल की शुरुआत हो चुकी है.
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