Personal Data Protection Bill: सरकार और सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, रॉ, आईबी एवं यूआईडीएआई समेत उसकी विभिन्न एजेंसियों को राष्ट्रीय सुरक्षा तथा जन कल्याण संबंधी कारणों के चलते प्रस्तावित निजी डेटा सुरक्षा कानून के दायरे से मुक्त किया जा सकता है, हालांकि उन्हें तय प्रक्रियाओं का पालन करना होगा. संसद की एक समिति ने इसकी सिफारिश की है.


निजी डेटा सुरक्षा विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा भी की है कि ट्विटर एवं फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों को किसी तरह की मध्यवर्ती संस्था नहीं, बल्कि ‘सोशल मीडिया मंच’ माना जाएगा और ये भी इस प्रस्तावित कानून के दायरे में आएंगे.


विपक्ष का विरोध
बहरलहाल, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कई सांसदों ने इस रिपोर्ट के साथ अपनी असहमति का नोट भी दिया है. रिपोर्ट को सोमवार को ही अंगीकार किया गया. विपक्षी सदस्यों की ओर से मुख्य रूप से इसको लेकर विरोध जताया गया कि केंद्र सरकार को अपनी एजेंसियों को कानून के दायरे से छूट देने के लिए बेहिसाब ताकत दी जा रही है.


कुछ विपक्षी सदस्यों ने सुझाव दिया था कि सरकार को अपनी एजेंसियों को छूट देने के लिए संसदीय मंजूरी लेनी चाहिए ताकि व्यापक जवाबदेही हो सके, हालांकि इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया.


माना जा रहा है कि यह विधेयक 29 नवंबर से आरंभ हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध का नया जरिया हो सकता है. लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा और डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना के मकसद से यह विधेयक 2019 में लाया गया था. इसके बाद इस विधेयक को छानबीन और आवश्यक सुझावों के लिए इस समिति के पास भेजा गया था.


सूत्रों ने बताया कि समिति ने विधेयक के खंड 35 को बरकरार रखा है जिसमें प्रस्ताव दिया गया है कि केंद्र सरकार और उसकी कानून प्रवर्तन एजेंसियां संप्रभुता, राज्य की सुरक्षा और दूसरें देशों के साथ मित्रवत संबंधों की खातिर व्यक्तियों की अनुमति के बिना उनके डेटा को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती हैं.


सूत्रों के अनुसार, समिति ने यह भी कहा है कि कुछ एजेंसियों को कानून के दायरे से मुक्त करने के लिए बनाए जाने वाले नियम ‘निष्पक्ष, तर्कसंगत और उचित’ होने चाहिए.


सूत्रों ने बताया कि ईडी, सीबीआई, आईबी और रॉ जैसी कानून प्रवर्तन एवं खुफिया एजेंसियों को इस प्रस्तावि कानून के दायरे से छूट मिल सकती है. आधार सेवा से संबंधित संस्था यूआईडीएआई को भी छूट दी जा सकती है.


सूत्रों का कहना है कि कुछ मामलों में सरकार की कई अन्य इकाइयों, मसलन पुलिस को भी इस कानून से छूट दी जा सकती है. समिति के प्रमुख पीपी चौधरी ने रिपोर्ट के बारे में कहा कि इसके सदस्यों ने 200 से अधिक संशोधन और 93 अनुशंसाएं की हैं.


उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सदस्यों और दूसरे संबंधित पक्षों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद यह रिपोर्ट आई है. मैं सहयोग के लिए सभी सदस्यों का आभार प्रकट करता हूं. इस प्रस्तावित कानून का वैश्विक असर होगा और डेटा सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानक भी तय होंगे.’’ चौधरी ने यह भी कहा कि समिति ने इस कानून के बन जाने बाद इसे लागू करने के लिए 24 महीने का पर्याप्त समय दिया है.