संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार (20 अगस्त, 2025) को विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन बिल पेश किए. विपक्ष ने तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की. सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के भारी विरोध को देखते हुए अमित शाह ने बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की मांग की.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि इन बिलों के राजनीतिक दुरुपयोग का डर है. उन्होंने कहा कि मैं इन तीनों विधेयकों का पुरजोर विरोध करता हूं. इसके अलावा कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी बिल का विरोध किया. 

केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह के गुजरात में मंत्री रहते गिरफ्तारी की बात उठाई तो इस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था, मैं निर्दोष साबित हुआ. उन्होंने आगे कहा कि मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए थे और इसलिए मैंने पद से इस्तीफा दिया और कोई जिम्मेदारी वाला पद नहीं लिया.

सदन के अंदर मौजूद सांसदों के मुताबिक टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी जो भी वक्ता का माइक ऑन हो रहा था, उसके माइक पर जाकर चिल्ला रहे थे. ऐसा ही जब उन्होंने अमित शाह के माइक पर किया तो बिट्टू और रिजिजू ने उनको रोका, इसी बीच बिट्टू और कल्याण के बीच तल्ख बहस हुई.

कौन से हैं ये तीन बिल, जिनका विपक्ष कर रहा भारी विरोध 

गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025केंद्र सरकार के मुताबिक अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट 1963 की धारा 45 में संशोधन की जरूरत है. 

130वां संविधान संशोधन बिल 2025मोदी सरकार ने इस बिल को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है, जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो, इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239 AA में संशोधन की आवश्यकता है. 

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा.

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