Second Part of Budget Session to Resume Today: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत की पूर्व संध्या पर रविवार (12 मार्च) को आयोजित एक बैठक में सदन में व्यवधान को रोकने के तरीकों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के विचार मांगे. विपक्षी सदस्यों ने गैर-बीजेपी सरकारों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग और धनखड़ के निजी कर्मचारियों को संसदीय समितियों में नियुक्त करने के कदम का मुद्दा उठाया. बता दें कि बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत सोमवार (13 मार्च) से हो रही है और यह 6 अप्रैल तक चलेगा.


सूत्रों ने कहा कि सदन के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मुख्य रूप से इस मुद्दे को उठाया कि क्या व्यवधान की अनुमति दी जा सकती है और क्या सदस्य सदन में संविधान के अनुच्छेद 105 में तहत अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपुष्ट सूचनाएं रख सकते हैं. अनुच्छेद कुछ शर्तों के साथ संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है.


बजट सत्र का पहला चरण रहा था हंगामेदार


संसद के बजट सत्र के पहले चरण में अडाणी-हिंडनबर्ग मुद्दा छाया रहा था और विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति जांच की मांग को लेकर कार्यवाही बाधित की थी. राज्यसभा में आधिकारिक रिकॉर्ड से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के कुछ हिस्सों को हटाने के अपने फैसले पर विपक्षी दलों की ओर से धनखड़ की आलोचना की गई थी.


उपराष्ट्रपति ने इस महीने के शुरू में बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में कहा था, “मैं राज्यसभा को अपुष्ट सूचनाओं या किसी के खिलाफ आरोपों के लिए एक अखाड़ा नहीं बनने दे सकता. बयान दीजिए, आप ऐसा करने का हक रखते हैं, लेकिन इसे प्रमाणित करें, इसके लिए जिम्मेदार बनें.”


बैठक में ये नेता हुए शामिल


रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में सदन के नेता पीयूष गोयल, कांग्रेस के जयराम रमेश, द्रमुक के एम शनमुगम, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव मौजूद थे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बाद में धनखड़ से अलग से मुलाकात की. खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘संसद के आगामी सत्र से पहले भारत के उपराष्ट्रपति का सहयोग मांगने के लिए उनसे मुलाकात की.’’ उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दलों के रूप में हम सरकार को जवाबदेह बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं और देश के हर ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं.’’


निजी कर्मियों की नियुक्ति के मुद्दे पर यह बोले उपराष्ट्रपति


सदन के कई नेताओं ने संसदीय समितियों में धनखड़ के निजी कर्मियों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया. उपराष्ट्रपति ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि इस कदम के पीछे एकमात्र उद्देश्य मानव संसाधन और समितियों की उत्पादकता का अधिकतम उपयोग करना था. कर्मचारी समिति के भाग लेने वाले सदस्य नहीं थे और केवल शोध सामग्री की सहायता, सुविधा और उपलब्धता सुलभ करने के लिए हैं.


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