संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार (18 दिसंबर, 2025) को परमाणु ऊर्जा से जुड़ा 'द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल 2025' यानी शांति विधेयक, 2025 राज्यसभा से पास हो गया. राज्यसभा ने सिविल परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी के लिए रास्ता खोलने वाले इस बिल को ध्वनिमत से पास कर दिया.

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यह अविधेयक बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को संसद के निचले सदन लोकसभा से पास हो चुका है. इसके बाद अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद पूर्ण रूप से कानून का रूप ले लेगा, जिसके बाद केंद्र सरकार परमाणु ऊर्जा पर सरकार का एकाधिकार खत्म करने की ओर अपना कदम बढ़ाएगा और निजी कंपनियां परमाणु क्षेत्र में भारत के रूपांतरण के लिए काम करेंगे.

राज्यसभा में क्या बोले डॉ. जितेंद्र सिंह?

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वहीं, संसद के उच्च सदन राज्यसभा में केंद्रीय परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विधेयक पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा विश्वसनीय बिजली की 24x7 आपूर्ति का स्रोत है, जबकि अन्य नवीकरणीय ऊर्जा विभिन्न विकल्पों में यह निरंतरता नही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा तंत्र से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. अब तक आम जनता के लिए किसी भी प्रकार के विकिरण-संबंधी खतरे की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है.

केंद्र सरकार ने नए विधेयक ने क्या किया बदलाव?

केंद्र सरकार की ओर से लाया गया द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फोर ट्रांसफोर्मिंग इंडिया बिल, 2025 यानी शांति विधेयक, 2025 परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, उपयोग और रेगुलेशन के लिए एक पूरी तरह से नया ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है. इसके साथ इस बिल में रेडिएशन के मानकों को लेकर कई नए नियमों को शामिल किया गया है. केंद्र सरकार ने इस बिल को लेकर कहा कि परमाणु ऊर्जा तकनीक देश में स्वच्छ ऊर्जा जरूरतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. 

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