नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंक की आंच भड़काए रखने को बेताब पाकिस्तान साल 2018 के शुरुआती एक महीने में ही 192 बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है. जम्मू-कश्मीर में लगी नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीते तीन साल में पाकिस्तान 1400 से ज़्यादा बार सीजफायर (संघर्ष विराम) समझौते का उल्लंघन कर चुका है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान ने साल 2017 में 860 बार संघर्ष विराम तोड़ा जो बीते तीन सालों में सर्वाधिक था.


साल 2018 में केवल जनवरी माह में ही पाकिस्तान ने 192 बार इस समझौते की धज्जियां उड़ाईं. महत्वपूर्ण है कि हाल ही में बिम्भर गली इलाके में भारतीय चौकी को निशाना बनाते हुए की गई पाकिस्तान की गोलीबारी युवा अधिकारी कैप्टन कपिल कुंडू समेत चार सैनिक शहीद हो गए थे. इस घटना में पाकिस्तान ने मोर्टार और एन्टी टैंक गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल किया.


रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक लगातार हो रही संघर्ष विराम उल्लंघन की इन घटनाओं के पीछे पाकिस्तान की सोची-समझी चाल है. लेकिन पकिस्तान की इस नापाक चाल का सरहद से लेकर देश के भीतरी हिस्सों तक सेना और सुरक्षा बल माकूल जवाब दे रहे हैं.


लोकसभा में पेश रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से हो रहे संघर्ष विराम उल्लंघन में ही सेना और बीएसएफ को अपने 50 बहादुरों की आहूति देनी पड़ी. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सीमाओं को सुरक्षित बनाने के इस मिशन में सेना और बीएसएफ ने सरहद पर 186 जांबाजों को खोया है. सरहद पर पाकिस्तान की फायरिंग में सर्वाधिक नुकसान सेना को हुआ जिसने अपने 34 वीरों को खोया. वहीं बीएसएफ ने 16 बहादुरों का नुकसान उठाया.


हालांकि प्राणों की आहूति देकर सेना और सुरक्षा बल के जांबाजों ने बड़े पैमाने पर आतंकियों का सफाया किया है. जम्मू-कश्मीर में सरहदों की हिफाज़त और आतंकियों के सफाए की खातिर तेज रफ्तार ऑपरेशन चला रही भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने बीते तीन सालों (2015 से 29 जनवरी 2018) में 479 आतंकियों को मार गिराया है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और सीमा पर ही आतंकियों ने 270 से ज़्यादा घटनाओं को अंजाम दिया. जबकि इस दौरान 81 से ज़्यादा घुसपैठ की कोशिशों को अंजाम दिया.