Kashmir Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को हुए आतंकी हमले में गुजरात के सूरत निवासी शैलेश कलाथिया की भी मौत हो गई. उनकी पत्नी ने कहा हमले के बाद भी आतंकियों को लोगों की हत्या का बिल्कुल भी मलाल नहीं था. न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गुरुवार (24 अप्रैल, 2025) को मृतक की पत्नी ने कहा, 'आतंकवादियों ने कोई पश्चाताप नहीं दिखाया और वो उसके पति की गोली मारकर हत्या करने के बाद हंस रहे थे.'
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में गुजरात निवासी कलाथिया भी उन 26 लोगों में शामिल थे जिनकी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इसके अलावा भावनगर निवासी दो लोग यतीश परमार और उनके बेटे समित की भी मौत हो गई. इन तीनों मृतकों का उनके गृह जिले में गुरुवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया. स्थानीय लोगों ने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
'मेरे पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था आतंकवादी'
मृतक शैलेश कलाथिया की पत्नी शीतलबेन कलाथिया ने कहा, 'आतंकवादी पहले हमारे करीब आया और फिर जब उसे पता चला कि मेरे पति हिंदू हैं तो उसने गोली मार दी. मेरे पति की तरह ही अन्य हिंदू पुरुषों को भी उनके बच्चों के सामने ही गोली मार दी गई. उन्होंने कहा, 'आतंकवादी मेरे पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था और उनकी मौत होने तक वहां से नहीं गया.'
कलथिया के बेटे नक्श ने सूरत में अपने पिता का अंतिम संस्कार किया. बाद में पत्रकारों से बात करते हुए नक्श ने कहा कि उसके पिता को हिंदू होने के कारण निशाना बनाया गया और एक आतंकवादी ने उसके और उसकी मां के सामने गोली मारकर हत्या कर दी. शैलेश कलथिया अपनी पत्नी शीतलबेन, बेटे नक्श और बड़ी बेटी नीति के साथ पहलगाम में छुट्टियां मना रहे थे, तभी आतंकवादियों के एक समूह ने बैसरन पर हमला कर दिया.
'जिन्होंने कलमा पढ़ा, उन्हें छोड़ दिया गया'
नक्श ने बताया, 'जैसे ही हमने गोलियों की आवाज सुनी, सभी पर्यटक पहलगाम में छिपने के लिए भागने लगे. आखिरकार दो आतंकवादियों ने हमें पकड़ लिया और हम सभी से हमारा धर्म बताने को कहा. उन्होंने लोगों को दो समूहों में बांट दिया, हिंदू और मुस्लिम. इसके बाद उन्होंने मेरे पिता समेत सभी हिंदुओं की गोली मारकर हत्या कर दी और भाग गए.'
उन्होंने कहा, 'हमले के समय उस क्षेत्र में करीब 20 से 30 पर्यटक थे. मुझे डर था कि मैं भी मारा जाऊंगा. हिंदुओं को मुसलमानों से अलग करने के बाद आतंकवादियों ने उनसे कलमा पढ़ने को कहा. जिन्होंने कलमा पढ़ा, उन्हें छोड़ दिया गया. जो नहीं पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई.'
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