नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह OTT प्लेटफॉर्म में दिखाई जा रही सामग्री पर नियंत्रण के लिए किस तरह की व्यवस्था बनाएगी. कोर्ट ने केंद्र को 6 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मुद्दे पर 15 अक्टूबर को नोटिस जारी किया गया था. सरकार का जवाब अब तक न आने पर कोर्ट ने आज हल्की नाराज़गी भी जताई.


वकील शशांक शेखर झा की तरफ से दाखिल याचिका में बताया गया है कि OTT प्लेटफॉर्म में लगातार ऐसे कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं, जो सामाजिक और नैतिक मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं. कुछ कार्यक्रमों में सैन्य बलों का भी गलत चित्रण किया गया है. इसलिए, एक स्वायत्त संस्था का गठन किया जाए जो OTT के कार्यक्रमों की निगरानी कर सके.


याचिका के मुताबिक केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने OTT प्लेटफार्म को उन बातों की एक सूची सौंपी थी, जिन्हें कार्यक्रमों में नहीं दिखाया जा सकता. पर उसका पालन नहीं हो रहा. नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, हॉट स्टार, ऑल्ट बालाजी जैसे 15 बड़े प्लेटफॉर्म्स ने मिलकर आत्मनियंत्रण के लिए एक संस्था बनाई. लेकिन संस्था का कामकाज संतोषजनक नहीं कहा जा सकता.


याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट सरकार को सेंट्रल बोर्ड फ़ॉर रेग्युलेशन एंड मॉनिटरिंग ऑफ ऑनलाइन वीडियो कंटेंट्स (CBRMOBC) नाम की एक स्वायत्त संस्था के गठन का आदेश दे. इसकी अध्यक्षता सचिव स्तर के वरिष्ठ IAS अधिकारी करें. बोर्ड में सिनेमा और वीडियो कार्यक्रम निर्माण से जुड़े लोगों, शिक्षाविद, कानूनविद और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी उचित प्रतिनिधित्व रखा जाए.


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