नई दिल्ली: उत्तर-पूर्व के तीन राज्य लेफ्ट और कांग्रेस से छीनने के बाद एनडीए गठबंधन अब देश की 68 प्रतिशत आबादी पर राज कर रहा है. 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले यह विरोधियों के लिए साफ तौर पर बड़ा धक्का है. 2014 से शुरु हुई मोदी लहर लगातार जारी है जो धीरे-धीरे देश भर में फैलती दिख रही है. इसी लहर को रोकने के लिए विपक्ष उत्तर से दक्षिण तक एकजुट होने की कोशिश में जुटा है. ताजा उदाहरण सपा-बसपा का है. अब यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है कि 'मोदी हराओ प्रतियोगिता' में विपक्ष कितना सफल हो पाता है?


गोरखपुर और फूलपुर में 11 मार्च को होने वाले चुनाव से पहले यूपी में अखिलेश यादव और मायावती ने अप्रत्यक्ष रूप से हाथ मिला लिए हैं. दूसरी ओर तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव ने मोदी को हराने के लिए तीसरे मोर्चे की पहल की है. इससे पहले बिहार में एनडीए छोड़कर जीतन राम मांझी का आरजेडी के साथ जाना भी तो मोदी को हराने की रणनीति का ही हिस्सा है.

चंद्रशेखर राव तेलंगाना के सीएम हैं और तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस पार्टी के अध्यक्ष हैं. अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन चलाकर बड़े नेता बने. हालांकि उन्हें अभी तक राष्ट्रीय छवि का नेता नहीं माना जाता है लेकिन 2019 से पहले तीसरे मोर्चे की पहल करके उन्होंने अपनी छवि को राष्ट्रीय बनाने का प्रयास किया है.

राव के इस पहल के साथ ही तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने उनके समर्थन का एलान कर दिया है. हैदराबाद में AIMIM प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने राव के उस बयान का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जनता बीजेपी सरकार से ऊब चुकी है और कांग्रेस भी विकल्प नहीं है ऐसे में तीसरे मोर्चे का आह्वाहन होना चाहिए.

मायावती ने सपा के साथ गठबंधन पर इंकार किया लेकिन साफ-साफ कहा कि बीजेपी को हराना है और यही संदेश कार्यकर्ताओं को दिया गया है. सपा-बसपा पहले भी साथ रह चुकी हैं और अखिलेश कई बार माया पर नरम दिखे हैं ऐसे में गठबंधन की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है.

दूसरी ओर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मुताबिक देश में नरेंद्र मोदी हराओ प्रतियोगिता चल रही है जिसमें देश की विपक्षी पार्टियां लगी हुई हैं.