Opposition On UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता साकेत गोखले ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को घेरा है. मंगलवार (6 फरवरी, 2024) को उन्होंने यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए लाए गए नियमों की आलोचना की और कहा कि बीजेपी ने अब लोगों के बेडरूम में कदम रख दिया है.


माइक्रो ब्लॉगिंग मंच एक्स (पूर्व में टि्वटर) पर टीएमसी नेता के हैंडल से लिखा गया, "इस चौंकाने वाले प्रावधान का यह भी मतलब है कि साथ रहने वाले पुरुष और महिला को यह साबित करना होगा कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं हैं. कुछ पागल अगर शिकायत दर्ज कराते हैं तो ऐसे लोग मुश्किल में पड़ जाएंगे. बीजेपी ने अब आपके बेडरूम में कदम रखा है और जब भी वे चाहें, आपकी जांच कर सकती है."


'पर्सनल लाइफ में घुसपैठ", कांग्रेस नेत्री ने यूं BJP को लपेटा


इस बीच, टीएमसी नेता के अलावा कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने कहा- यह विधेयक बीजेपी सरकार की ओर से वयस्कों की निजी जिंदगी (सहमति से साथ रहने के संदर्भ में) में घुसपैठ का शर्मनाक प्रयास है. एक्स पर उन्होंने लिखा, ''उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया यूसीसी विधेयक रिलेशनशिप की शुरुआत से एक महीने की अवधि में 'लिव-इन रिलेशनशिप' के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है अन्यथा कपल्स को 6 महीने के लिए जेल भेजा जाएगा. यह बीजेपी सरकार का राज्य में सहमति से एक साथ रहने वाले एडल्ट लोगों के जीवन में घुसपैठ है. राज्य सरकारों का काम यह नहीं होता है."


AIUDF के सांसद की ओर से कही गई यह बात


वहीं, यूसीसी के विरोध में एआईयूडीएफ चीफ और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बताया, "जब सरकार विफल हो जाती है तो राज्य विधानसभाओं के जरिए कुछ ऐसा ही कदम उठाती है. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी समय-दर-समय  ऐसा करते हैं. वे पीएम मोदी को खुश रखना चाहते हैं ताकि कुछ समय तक मुख्यमंत्री बने रहें. इस विधेयक को कूड़ेदान में फेंक दिया जाना चाहिए."


'महिला सुरक्षा में विफल रही उत्तराखंड सरकार'


उधर, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी बोले, ''उत्तराखंड सरकार राज्य में महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था समेत सभी मुद्दों पर विफल रही है. यह यूसीसी उसी विफलता पर पर्दा डालने का प्रयास है. फिर भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तराखंड में हार का मुंह देखना पड़ेगा."


यूसीसी में लिव-इन को लेकर क्या है? 


उत्तराखंड में यूसीसी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति बिना बयान दर्ज कराए एक महीने से अधिक समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उन्हें दंडित किया जा सकता है और तीन महीने तक की जेल या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.


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