अमेरिकी विदेशी विभाग ने भारत के मुसलमानों पर बनी रिपोर्ट में प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका ने भारत में धर्म और समुदाय की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उनका कहना है कि इस मामले में वह भारत समेत दुनिया भर के देशों से बात कर रहे हैं. अमेरिकी विदेशी विभाग का कहना है कि वह सिर्फ धर्म और समुदाय की स्वतंत्रता को ही बढ़ावा नहीं दे रहे हैं बल्कि उसकी रक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. 


अमेरिकी विदेशी विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि हमने सभी धार्मिक समुदायों के लोगों के साथ समान व्यवहार हो इसपर भारत समेत कई देशों को शामिल किया. 


पीएम ने पद संभालने के बाद किया ये…


मैथ्यू मिलर का यह जवाब न्यूयॉर्क टाइम्स की “स्ट्रेंजर्स इन देयर ओन लैंड: बीइंग मुस्लिम में मोदीस इंडिया” के शीर्षक की रिपोर्ट के बाद आया है. इसमें यह बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने पद संभालने के बाद से उन्होंने लोकतंत्र को और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को खत्म कर दिया है. इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत के जितने भी मुस्लिम परिवार हैं, वह कई परेशानियों से गुजर रहे हैं और ऐसे देश में अपने बच्चों को पाल रहे हैं, जो खुद उनकी पहचान पर सवाल उठा रहा है. 


भारतीय मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ी


प्रधानमंत्री के वित्तीय सलाहकार की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 1950 से 1915 के बीच में भारतीय मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 प्रतिशत से बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो गई है. वही हिंदू जनसंख्या 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.6 प्रतिशत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसाई, बौद्ध और सिख आबादी में वृद्धि हुई है, तो वही जैन और पारसी आबादी में कमी देखने को मिली है. 


धारणा गलत हुई साबित


प्रधानमंत्री के रिपब्लिक टीवी के हलिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत में हिंदुओं की जनसंख्या लगभग प्रतिशत कम हुई है तो वहीं अल्पसंख्यकों की 43 प्रतिशत बड़ी है, लेकिन जो धारणा पहले की बनाई गई है वह गलत साबित हो रही है. पीएम ने कहा था कि इसका मतलब जिसको जो निकालना है निकाल सकते हैं. 


अल्पसंख्यकों के लिए कोई आवाज नहीं- ये पूरी तरह गलत


पीएम ने कहा था कि अगर यह फैक्ट है तो अल्पसंख्यकों को दबाए जाने वाली जो धारणा बनाई गई है वह पूरी तरह से गलत है कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए कोई आवाज नहीं है. 


भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी आयोग के बारे में कहा ये…


भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें भाजपा पर भेदभाव पूर्ण नीतियों को मजबूत करने के आरोप लगे थे. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक कार्यक्रम में कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी आयोग को पोलिटिकल एजेंट के साथ-साथ एक पक्षपाती ग्रुप के रूप में भी जाना जाता है. वह लोग सालाना रिपोर्ट के नाम पर भारत में अपना प्रचार प्रकाशित करते हैं.


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