उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. इन दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सौ से ज्यादा आरोपियों की पहचान एफआरएस यानी चेहरा पहचान तकनीक के जरिए की गई है. तकनीक के इस्तेमाल का ब्योरा देते हुए दिल्ली पुलिस प्रमुख ने कहा कि 231 आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया.


उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे से जुड़े 400 मामलों में अब तक 1818 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा, "निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया गया. विज्ञान और तकनीक पर आधारित सबूतों को खारिज नहीं किया जा सकता. 137 आरोपियों की पहचान एफआरएस के जरिए की गयी और आपराधिक रिकॉर्ड का मिलान किया गया. बाकी 94 मामले में छानबीन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीरों का इस्तेमाल हुआ."


755 FIR दर्ज
दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दंगों के सिलसिले में 755 एफआईआर दर्ज की गई. पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गयी थी और कई लोग घायल हो गए थे.


उन्होंने कहा, 'आपको पता है कि दंगे में 53 लोगों की मौत हुई और 581 लोग घायल हुए थे. पिछले साल 24 और 25 फरवरी को दंगों के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाए हुईं. कुल 755 एफआईआर दर्ज की गयीं और हमने सुनिश्चित किया कि किसी को यह शिकायत ना रहे कि उनके मामले को नहीं सुना गया. मामलों की जांच के लिए तीन एसआईटी बनायी गयी. सभी महत्वपूर्ण मामले (करीब 60) क्राइम ब्रांच के तहत तीनों एसआईटी के पास भेजे गए. एक मामला दंगों के पीछे की साजिश को उजागर करने के लिए दर्ज किया गया. इसकी जांच दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने की जबकि बाकी मामलों की जांच उत्तर-पूर्वी जिले की पुलिस ने की.


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