पंजाब में इन दिनों पूर्व डीजीपी के पीछे वही पुलिस पड़ी हुई है जो कभी उनके इशारों पर काम करती थी. पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई है. इसी साल 28 अगस्त को चंडीगढ़ में सुमेध सिंह सैनी की कोठी पर पंजाब पुलिस ने छापा मारा था. लेकिन सैनी हाथ नहीं आए.


आखिर क्यों पूर्व डीजीपी को तलाश रही है पंजाब पुलिस
सुमेध सिंह सैनी को पंजाब पुलिस 28 साल पुराने एक अपहरण और हत्या के केस में ढूंढ रही है. 1991 में चंडीगढ़ के एसएसपी सैनी आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए थे. इस मामले की जांच में पुलिस ने मोहाली के बलवंत सिंह मुलतानी को गिरफ्तार किया था. कोर्ट से रिमांड लेने के बाद पुलिस ने मुलतानी को भगोड़ा घोषित कर दिया था. 1991 की इस घटना पर मुलतानी के भाई की शिकायत पर इसी साल मई में अपहरण की एएफआईआर दर्ज कराई थी.


सरकारी गवाहों का आरोप है कि पुलिस रिमांड में टॉर्चर से बलवंत सिंह मुलतानी की मौत हो गई थी. बाद में पंजाब पुलिस ने अपहरण के केस में हत्या की धाराएं भी जोड़ दी. इस केस में पहले मोहाली कोर्ट और फिर हाईकोर्ट से सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है. तब से पंजाब पुलिस सेनी की गिरफ्तारी के लिए कई जगह छापे मारी कर चुकी है, लेकिन वह हाथ नहीं लगे.


क्या FIR राजनीति बदला है?
सुमेध सिंह सैनी ने साल 2007 में अमरिंदर सिंह, उनके बेटे रनिंदर सिंह और उनके करीबियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. 2007 में अमरिंदर की सत्ता जाने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री बनते ही सुमेध सिंह सैनी को विजिलेंस का चीफ डायरेक्टर बनाया था. सैनी ने 1500 करोड़ के लुधियाना सिटी सेंटर स्कैम और अमृतसर लैंड स्कैम में अमरिंदर सिंह को चार्जशीट किया था.


सैनी कभी अमरिंदर सिंह के घुट में भी हुआ करते थे. लेकिन सैनी के वकीलों का आरोप है कि कैप्टन सरकार राजनीति बदले की भावना से काम कर रही है.


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