नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में एक बार तीन तलाक देने की प्रथा को असंवैधानिक करार दिया. कोर्ट ने सरकार से छह महीने के भीतर इस पर कानून बनाने को कहा. सरकार ने एक बार में तीन तलाक पर किसी नए कानून की जरूरत को वस्तुत: खारिज करते हुए संकेत दिया कि घरेलू हिंसा से निपटने वाले कानून समेत मौजूदा कानून इसके लिए पर्याप्त हैं.


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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘ सरकार इस मुद्दे पर संरचनात्मक और व्यवस्थित तरीके से विचार करेगी. प्रथम दृष्टया इस फैसले को पढ़ने से साफ होता है कि (पांच सदस्यीय पीठ में) बहुमत ने इसे असंवैधानिक और अवैध बताया है.’’ वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस फैसले को उन लोगों के लिए बड़ी जीत करार दिया जिनका मानना है कि पर्सनल कानून प्रगतिशील होने चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फैसला अब देश का कानून है. जेटली ने यह भी कहा कि इस्लामी दुनिया के कई हिस्सों में तीन तलाक की प्रथा को खारिज कर दिया गया है.


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यह पूछे जाने पर कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को किस प्रकार से लागू किया जाएगा और आदेश के पालन के लिए किसी कानून की जरूरत क्यों नहीं है, सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर कोई पति एक बार में तीन तलाक बोलता है, तो अब विवाह समाप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगर कोई पति एक बार में तीन बार तलाक बोलता है, तब उसे वैध नहीं माना जायेगा. विवाह के प्रति उसकी जवाबदेही बनी रहेगी, पत्नी ऐसे व्यक्ति को पुलिस के समक्ष ले जाने और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराने के लिए आजाग है. इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि इस प्रथा पर रोक के लिए दंड प्रावधान मौजूद हैं.


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केंद्र सभी राज्यों को एक परामर्श भेज कर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहेगा. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रालय राज्य सरकारों को उचित कार्रवाई करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहेगी.