भारत में डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन को लेकर हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय मे संसद को अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 13,86,157 डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, जो पिछले साल अगस्त में लोकसभा में दिए गए 13,86,136 डॉक्टरों के लगभग बराबर है.

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आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल लगभग 80,000 डॉक्टरों के स्नातक होने के बावजूद, भारत में केवल 21 डॉक्टरों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ. पिछले साल दिए गए NMC आंकड़ों की राज्य परिषदों के आंकड़ों से तुलना करने पर एक स्पष्ट अंतर दिखाई देता है.

दिल्ली के 40,000 से अधिक डॉक्टर आंकड़ों से गायब

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दिल्ली में NMC (नेशनल मेडिकल काउंसिल) के आंकड़ों में 31,500 से भी कम डॉक्टर थे, जबकि राज्य परिषद के 2020 के आंकड़ों में 72,600 से अधिक डॉक्टर दिखाए गए, तो NMC के आंकड़ों में दिल्ली के 40,000 से अधिक डॉक्टर कैसे गायब हो गए?

वहीं पिछले साल NMC ने आंकड़े पेश करते हुए बताया था कि केरल मेडिकल काउंसिल के पास 73,000 से अधिक डॉक्टर पंजीकृत हैं. हालांकि केरल काउंसिल के एक सदस्य ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह संख्या 1 लाख से अधिक है, यानी सीधा-सीधा 36,000 का अंतर नजर आ रहा है.

'गलत जानकारी देना संसद की अवमानना के खिलाफ'

इसी तरह, NMC ने तमिलनाडु में 1.5 लाख से कम डॉक्टर बताए, जबकि राज्य परिषद के आंकड़े 2 लाख से अधिक हैं. देखा जाए तो यह कोई टाइपिंग में गलती और मामूली गणना नहीं है. यह दिल्ली मेडिकल काउंसिल (DMC) के ऑफिशियल रिकॉर्ड और संसद में नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के बीच 41,000 डॉक्टरों का बड़ा अंतर है.

यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (UDF) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरुण कुमार ने कहा, 'यह सांसदों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकता है और संसद की प्रक्रिया के अनुसार, इस प्रकार की गलत जानकारी देना संसद की अवमानना के खिलाफ है.' 

72,636 का आंकड़ा 2020 का प्रमाणिक डेटा

दरअसल UDF ने दिल्ली में पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स से संबंधित डेटा के लिए RTI दायर की थी. DMC ने जवाब दिया कि 2014 में परिषद चुनाव के लिए कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 57,749 थी और 2020 के चुनावों के लिए यह संख्या 72,636 थी.

UDF महासचिव डॉ. कुमार ने कहा, 'केवल वही डॉक्टर जो अपना रजिस्ट्रेशन अपडेट करवाते हैं, वे ही परिषद चुनाव में वोट दे सकते हैं. इसलिए, 72,636 का आंकड़ा 2020 का प्रमाणिक डेटा है.' हर साल सैकड़ों नए रजिस्ट्रेशन होते हैं, इसलिए अब यह संख्या और अधिक होनी चाहिए.

दिल्ली की स्वास्थ्य योजना प्रक्रिया पर सवाल

डॉ. कुमार ने आगे कहा, 'दिल्ली, जो सबसे अधिक मरीजों वाले शहर में से एक है, वहां 40,000 डॉक्टरों का ही होना पूरी स्वास्थ्य सेवा योजना प्रक्रिया को बिगाड़ देती है. वे डॉक्टरों की कमी का हवाला देकर दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में बॉन्ड लागू करने की योजना बना रहे हैं. अगर वे दिल्ली के आंकड़े सही नहीं बता सकते तो दूसरे राज्यों के बारे में सोचना ही पड़ेगा.'

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