बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं? गैर कांग्रेस विपक्षी पार्टियां इसी रणनीति पर काम कर रही हैं. तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने ये पहल शुरू की है. कहा जा रहा है कि इसके पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके का भी दिमाग है. नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने की बात की शुरुआत तब हुई जब इसी महीने केसीआर और पीके की मुलाकात हैदराबाद में हुई. तेलंगाना के चुनाव में पीके की टीम इस बार केसीआर की पार्टी टीआरएस के लिए काम करेगी. दो दिनों तक दोनों के बीच चली बैठक में नीतीश को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाने पर लंबी चर्चा हुई. इसके बाद नीतीश और प्रशांत किशोर पटना में डिनर पर मिले. 


क्या नीतीश कुमार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने को तैयार हैं? 
इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. बिहार में नीतीश की पार्टी और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार है. लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर जेडीयू और बीजेपी में तनातनी जारी है. आरजेडी इस मुद्दे पर नीतीश के साथ है. तेजस्वी यादव और के चंद्रशेखर राव के बीच भी भेंट मुलाकात हो चुकी है. समझा जाता है कि इस मुलाकात में भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा हुई है. पिछले ही हफ़्ते के चंद्रशेखर राव ने मुंबई जाकर एनसीपी नेता शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. 


थर्ड फ्रंट बनाने की एक और कोशिश
खबर है कि इस मुलाकात में भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ही चर्चा होती रही. मीडिया में इसे बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ थर्ड फ्रंट बनाने की एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन ये रणनीति राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है. आगे इस खेल में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी जोड़ने की तैयारी है. कुछ और क्षेत्रीय दलों को इस अभियान से जोड़ने पर काम चल रहा है. कुल मिलाकर रणनीति ये है कि बीजेपी के खिलाफ ऐसा मजबूत उम्मीदवार दिया जाए कि कांग्रेस भी उसी के समर्थन देने को मजबूर हो जाए.


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