Nitish Katara Murder Case: अपनी रिहाई की मांग कर रहे नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की याचिका पर सुनवाई 3 अक्टूबर के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामला 3 जजों की बेंच के सामने लगेगा. 2002 के इस हत्याकांड में विकास यादव को 25 साल की मिली है. उसने समय से पहले रिहाई की गुहार की है.


3 जज करेंगे सुनवाई


सुनवाई के दौरान दिवंगत नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा और यूपी सरकार ने याचिका का विरोध किया. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट से मिली सजा को नई याचिका के जरिए कम नहीं करवाया जा सकता. वहीं, विकास यादव के वकील ने कहा कि वह हर पहलू पर जवाब देंगे, लेकिन इसी तरह के मसले पर पहले 3 जजों की बेंच आदेश दे चुकी है, इसलिए, यह मामला 3 जजों की बेंच को भेजा जाए. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की बेंच ने इसे स्वीकार कर लिया.


क्या है मामला?


नीतीश कटारा की मित्रता बाहुबली डीपी यादव की बेटी भारती से थी. 16 फरवरी, 2002 की रात गाजियाबाद में एक शादी समारोह में भारती और नीतीश साथ थे. यह देख कर भारती का भाई विकास बेहद गुस्से में आ गया. उसने अपने चचेरे भाई विशाल के साथ मिलकर नीतीश को अगवा कर लिया. गाजियाबाद से करीब 80 किलोमीटर दूर ले जाकर हथौड़े से उसकी हत्‍या कर दी.


दिल्ली की कोर्ट में हुई सुनवाई


कुछ दिनों तक मुकदमा गाजियाबाद कोर्ट में चला. नीतीश की मां नीलम कटारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि डीपी यादव के दबाव में सुनवाई सही तरीके से नहीं हो रही है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर कर दिया.


25 साल की सजा मिली


30 मई, 2008 को निचली अदालत ने विकास, विशाल और सुखदेव पहलवान को उम्र कैद की सजा दी. 2 अप्रैल 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा. नीलम कटारा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दोषियों के लिए फांसी की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा तो नहीं दी, लेकिन उम्र कैद की सजा की मियाद तय कर दी. 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने विकास और विशाल को 25-25 साल और सुखदेव को 20 साल की सजा दी.


यह भी पढ़ें- अनुच्छेद 370: SC ने कहा- जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए समयसीमा तय करें, फिर क्या बोला केंद्र?