कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार (29 अगस्त) को कहा कि 1983 में एसएलवी-3-डी2 के सफल प्रक्षेपण के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक दूसरे के धुर राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद, आंध्र प्रदेश के तब के मुख्यमंत्री एन टी रामाराव को श्रीहरिकोटा में मौजूद रहने के लिए आमंत्रित किया था.


जयराम रमेश की यह टिप्पणी उस विवाद के दौरान आई है, जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को बीते शनिवार अपनी बेंगलुरु यात्रा के दौरान एचएएल हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी करने से रोक दिया था.


लगाए ये आरोप
जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात को लेकर सिद्धरमैया और शिवकुमार से चिढ़ गए कि उनसे पहले उन दोनों ने इसरो के वैज्ञानिकों को सम्मानित किया. जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को रोककर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया था. प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर नहीं आने का आग्रह किया था क्योंकि लंबी उड़ान के बाद वह अपने आगमन के समय को लेकर आश्वस्त नहीं थे और इसलिए नहीं चाहते थे कि उनके स्वागत के लिए सुबह जल्दी उठकर दूसरे लोगों को कष्ट उठाना पड़े.


एथेंस से सीधा बेंगलुरु इसरो के वैज्ञानिकों से मिलने पहुंचे थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इसरो के वैज्ञानिकों से बातचीत करने के लिए यूनान की राजधानी एथेंस से शनिवार को सुबह करीब छह बजे सीधे बेंगलुरु पहुंचे थे. जयराम रमेश ने इस घटना का जिक्र किए बिना X (ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, 'वे कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी थे, लेकिन इंदिरा गांधी ने 17 अप्रैल 1983 को एसएलवी-3-डी2 के सफल प्रक्षेपण के बाद एन टी रामाराव को श्रीहरिकोटा में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित किया था. वेद प्रकाश सैंडलस की 2018 की पुस्तक द लीपफ्रोगर्स में इसका जिक्र है.'


एसएलवी-3 अपने साथ रोहिणी उपग्रह आरएस-डी2 को लेकर गया था. हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए प्रोटोकॉल की अनदेखी को लेकर भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री आर अशोक और शिवकुमार के बीच बहस भी भी छिड़ गई.