नई दिल्ली: दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाने वाले दोषी मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को एक फरवरी को फांसी दी जानी है तो इससे जरूरी कुछ नहीं है. मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका अस्वीकार किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया है.


फांसी पर अमल का मामला सर्वोच्च प्राथमिकता- सुप्रीम कोर्ट


राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 17 जनवरी को 32 वर्षीय मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका अस्वीकार कर दी थी. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने कहा, ‘‘यदि किसी व्यक्ति को फांसी पर लटकाया जाना है तो इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता.’’ पीठ ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को एक फरवरी को फांसी दी जानी है तो एक सर्वोच्च प्राथमिकता का मामला है.


1 फरवरी सुबह 6 बजे होनी है फांसी


पीठ ने मुकेश के वकील एसपी सिंह से कहा कि वह मामलों के उल्लेख के लिये नियुक्त अधिकारी के पास जायें क्योंकि फांसी देने की तारीखी एक फरवरी निर्धारित है. पीठ ने कहा, ‘‘फांसी पर अमल का मामला सर्वोच्च प्राथमिकता का होगा.’’ दिल्ली की एक कोर्ट ने 2012 के इस जघन्य अपराध में चार दोषियों को एक फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने के लिए वारंट जारी किया है.


मुकेश कुमार सिंह की सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी. कोर्ट ने एक अन्य दोषी अक्षय कुमार की सुधारात्मक याचिका भी खारिज कर दी थी. इस मामले में दो अन्य दोषियों पवन गुप्ता और विनय कुमार शर्मा ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है.


16 दिसंबर 2012 की वो रात...


बता दें कि 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16 दिसंबर 2012 की रात छह लोगों ने गैंगरेप के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था. निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था. इस जघन्य अपराध के मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे तीन साल के लिये सुधार गृह में रखा गया था.