नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में बड़ी खबर आई है. जानकारी मिली है कि राष्ट्रपति के पास अब किसी दोषी की याचिका लंबित नहीं है. वहीं,  दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने निर्भया के हत्यारे मुकेश की दया याचिका खारिज करके कल शाम उपराज्यपाल के पास भेजी थी और उपराज्यपाल कार्यालय से वह दया याचिका अब गृह मंत्रालय के पास भेज दी गई है. अब गृह मंत्रालय ये याचिका आज शाम तक राष्ट्रपति भवन भेजेगा.


बता दें कि इससे पहले विनय शर्मा ने जो दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी, राष्ट्रपति ने वह दया याचिका वापस कर दी थी. निर्भया के चारों दोषी लगातार कानून के जरिए मिले हक का इस्तेमाल करके अपनी फांसी में देरी करा रहे हैं. पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी के लिए 22 जनवरी सुबह सात बजे का वक्त तय किया है.


दया याचिका कैसे जाती है राष्ट्रपति भवन?


सबसे पहले गुनहागार जेल अधिक्षक को दया याचिका भेजता है. उसके बाद ये याचिका राज्य सरकार के पास पहुंचती है. राज्य सरकार याचिका को राज्यपाल या उप राज्यपाल के पास भेजती है. जिसके बाद राज्यपाल या उपराज्यपाल की तरफ से वह याचिका गृह मंत्रालय के पास भेजी जाती है. आखिर में गृह मंत्रालय याचिका राष्ट्रपति भवन भेजता है. इसी तरीके से याचिका वापस भी की जाती है.


आखिरी बार परिवार से कब मिलेंगे दोषी, अभी तक नहीं बताया


गौरतलब है कि इस मामले में चार दोषियों में से किसी ने अभी तक तिहाड़ जेल अधिकारियों को सूचित नहीं किया है कि वे अपने परिवार से आखिरी बार कब मिलना चाहेंगे. हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से दी गई दलीलों के बाद 22 जनवरी को चारों को फांसी दिये जाने की संभावना कम ही है.


जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों में से किसी पर भी अभी परिजनों से मिलने पर रोक नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह अपनी पत्नी से फोन पर बात करता है लेकिन वह नवंबर 2019 के बाद उससे मिलने नहीं आयी है. कारण पूछने पर अक्षय ने जेल अधिकारियों को बताया कि वह तभी आएगी जब वह बुलाएगा. चारों दोषियों को अलग-अलग कोठरियों में रखा गया है.


चारों दोषियों को अलग-अलग रखा गया
जेल अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रत्येक कोठरी के पास 24 घंटे तीन-चार गार्ड होते हैं और वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. कोठरी में कोई पंखा नहीं है. उन्हें अकेले रखा गया है, उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं है. हम उन्हें आपस में भी बात करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.कोठरी के बाहर खुली जगह है, जहां वह टहल सकते हैं, व्यायाम या योग कर सकते हैं. डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक लगातार चारों से बात कर रहे हैं ताकि उनका दिमाग सही रहे.


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