मुंबई: पीएनबी घोटाले पर पहली बार नीरव ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मामले को सार्वजनिक कर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने कर्ज वसूली के सभी विकल्प गंवा दिए हैं. देश के बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के मुख्य कर्ताधर्ता नीरव ने कहा कि पीएनबी ने मामले को सार्वजनिक कर उससे कर्ज वसूलने के अपने सारे रास्ते बंद कर लिए हैं.


नीरव ने ये भी दावा किया है कि पीएनबी उसकी कंपनियों के ऊपर बाकी कर्ज को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है. पीएनबी मैनेजमेंट को 15-16 फरवरी को लिखी गई एक चिट्ठी में मोदी ने कहा है कि उसकी कंपनियों पर बैंक का बकाया 5,000 करोड़ रुपये से कम है.


बैंक को लिखी चिट्ठी में हुआ खुलासा


यूपीए सरकार में बैंकिंग घोटाले के जन्म का वायरल सच


न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने वो चिट्ठी देखी है जो नीरव ने बैंक को लिखी थी. चिट्ठी के मुताबिक नीरव का कहना है, ‘‘गलत तौर पर बतायी गई बकाया रकम से ‘मीडिया में होहल्ला’ हो गया और इसका परिणाम ये हुआ कि जांच का काम शुरू हो गया और कामकाज भी बंद हो गया. चिट्ठी में मोदी ने लिखा है, ‘‘इससे हमारे बिजनेस पर बैंक के बकाया को चुकाने की हमारी क्षमता खतरे में पड़ गई है."


आपको बता दें कि मोदी अपने परिवार समेत जनवरी के पहले हफ्ते में ही देश छोड़कर भाग गया था. उसने कहा, ‘‘13 फरवरी को की गई मेरी पेशकश के बावजूद बकाया रकम तुरंत पाने की जल्दी में आपकी (बैंक) कार्रवाई ने मेरे ब्रांड और कारोबार को तबाह कर दिया और इससे अब कर्ज वसूलने की आपकी क्षमता सीमित हो गई है." आपको बता दें कि नीरव ने 13 फरवरी को ये पेशकश की थी और बैंक ने 14-15 फरवरी को लोन घोटाले की जानकारी सार्वजनिक कर दी.


पत्नी और मामा का भी किया बचाव, मांगी कर्मचारियों की सैलरी


कलम बेचकर देश के सात बैंको को चूना लगाने वाले विक्रम कोठारी की पूरी कहानी


नीरव ने कहा, "मेरी पत्नी बिजनस ऑपरेशन्स में शामिल नहीं है और इस मामले में गलत तरीके से उसका नाम लिया गया है. मेरे मामा मेहुल चौकसी का भी नाम इस शिकायत में गलत तरीके से दिया गया है, क्योंकि उनका बिजनेस अलग है और मेरा उससे कोई लेना देना नहीं है. उन सबको मेरी बैंक से लेन-देन की कोई जानकारी नहीं है."


इसके साथ ही नीरव ने चिट्ठी के अंत में बैंक से अनुरोध किया है कि 2,200 कर्मचारियों को वेतन के भुगतान को मौजूदा खातों में से देने की अनुमति दें दी जाए.


पीएनबी घोटाले के लिए मनमोहन-मोदी दोनों सरकारें जिम्मेदार, आरबीआई भी रहा नाकाम