नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देशभर के स्कूलों में एस्बेस्टस की छतों पर गंभीर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. यह मामला स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के एक विजिटिंग फैकल्टी सदस्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सामने आया, जिसमें कहा गया था कि एस्बेस्टस से बनी छतें बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं.

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NGT में दाखिल याचिका में कहा गया कि एस्बेस्टस से निकलने वाले महीन रेशे लंबे समय में फेफड़ों की बीमारियां और कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं. NGT ने माना कि एस्बेस्टस फाइबर एयर पॉल्यूशन और पर्यावरण प्रदूषक की श्रेणी में आता है. 

NGT का मामले में अहम आदेश 

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NGT ने कहा कि बच्चों के लिए एस्बेस्टस के संपर्क का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है. NGT ने यह भी माना कि साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कल्याणेश्वरी केस में एस्बेस्टस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया था, लेकिन सावधानी सिद्धांत के तहत सरकार को अब और सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

NGT का केंद्र सरकार को निर्देश

NGT ने मामले की सुनवाई करते हुए पर्यावरण, आवास और शिक्षा मंत्रालयों को निर्देश दिया है कि वे मिलकर स्कूलों में लगी एस्बेस्टस शीट्स को योजनाबद्ध तरीके से बदलने की नेशनल पॉलिसी बनाएं. पुरानी एस्बेस्टस छतों से बच्चों पर पड़ने वाले स्वास्थ्य प्रभावों का साइंटफिक स्टडी कराएं.
 
एस्बेस्टस शीट्स को सुरक्षित तरीके से हटाने की एसओपी तैयार करें. NGT ने कहा कि यह कदम बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षित शिक्षण माहौल के लिए बेहद जरूरी है. NGT ने इस मामले में केंद्र सरकार से तेजी से कदम उठाने के लिए कहा है.