पटना: बिहार की राजधानी पटना में आज विधानसभा के बाहर सृजन घोटाले को लेकर लालू की पार्टी आरजेडी ने प्रदर्शन किया है. आरजेडी लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग रही है. आरजेडी का आरोप है कि इस घोटाले की जानकारी नीतीश कुमार को पहले से थी बावजूद इसके घोटाला होता रहा और नीतीश ने किसी पर कार्रवाई नहीं की.


एबीपी न्यूज़ से बातचीत में लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि ये घोटाला नहीं बल्कि महाघोटाला है. उन्होंने कहा कि नीतीश को सब पता था लेकिन उन्होंने किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की और घोटाला होता रहा.

आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने कल सृजन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी पर तीखा हमला किया है. लालू ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए दोनों नेताओं से कई तीखे सवाल पूछे हैं, जिनकी गूंज आज विधानसभा में भी सुनाई दे सकती है.

नीतीश को 2013 से थी घोटाले की जानकारी- लालू

लालू यादव ने आरोप लगाया है, ‘’नीतीश कुमार ने घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश अपनी मर्जी से नहीं दिया है बल्कि ये जांच रिजर्व बैंक के सर्कुलर की वजह से हो रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘’नीतीश कुमार और उनके अफसरों को सृजन घोटाले की जानकारी 2013 से ही थी, लेकिन जानबूझकर इस पर पर्दा डाला गया.’’

अफसर जयश्री ठाकुर को बचा रहे हैं नीतीश- लालू

लालू ने आगे कहा, ‘’इतना ही नहीं, नीतीश ने घोटाले की जांच का आदेश देने वाले डीएम का तबादला भी कर दिया.’’ लालू यादव ने नीतीश कुमार पर घोटाले में शामिल अफसर जयश्री ठाकुर को बचाने का आरोप भी लगाया.

सरकारी खजाने में 11 से 12 हज़ार करोड़ रुपये की गड़बड़ी- लालू

लालू यादव के मुताबिक, साल 2010-11 में CAG ने भी अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने में 11 से 12 हज़ार करोड़ रुपये की गड़बड़ी का जिक्र किया था. फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

लालू ने कहा, ‘’सृजन घोटाले से जुड़े तमाम तथ्य सामने आने के बाद अब नीतीश कुमार और सुशील मोदी को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.’’

क्या है सृजन घोटाला?

दरअसल बिहार के भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड में सृजन नाम का एनजीओ है. जिसे साल 1996 में महिलाओं को काम देने के मकसद से शुरु किया गया था. ये एनजीओ मनोरमा देवी ने बनाया था. तीन अगस्त को 10 करोड़ के एक सरकारी चेक के बाउंस होने के बाद इस एनडीओ में घोटाला होने का मामला सामने आया था. छानबीन में पता चला चला कि जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से बैंक से सरकारी पैसा निकाल कर एनजीओ के खाते में डाला गया. मामला सामने आते ही पुलिस ने एसआईटी का गठन करके इस मामले से जुड़े लोगों के घर और सृजन एनजीओ के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस मामले में अभी तक सात एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिसके आधार पर 10 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है.

एनजीओ की मौजूदा सचिव प्रिया कुमार फरार

2009 से पैसे की हेराफेरी का मामला शुरू हुआ था. इसमें मनोरमा देवी का नाम सामने आ रहा है, जिनकी इसी साल फरवरी में मौत हो चुकी है. एनजीओ की मौजूदा सचिव मनोरमा की बहु प्रिया कुमार हैं जो फरार हैं. मामले के राजनैतिक कनेक्शन भी खंगाले जा रहे हैं.

सरकारी पैसे को रियल इस्टेट में लगाने का आरोप

आरोप है कि सरकारी पैसे को निकाल कर उसे रियल इस्टेट में लगाया गया. साथ ही सरकारी पैसे को अवैध तरीके से निकाल कर लोगों को कर्ज पर दिया गया. सरकारी बैंक खाते से एनजीओ के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर की करोड़ों की राशि विभिन्न राज्यों और शहरों में भेजे जाने की बात सामने आ रही है. आरजेडी ने इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को लपेटने की तैयारी कर ली है.