भागलपुर:  बिहार में जिस सृजन घोटाले को लेकर राजनीति गरम है उसको लेकर बड़ा खुलासा किया है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में ये पता चला है कि सृजन एनजीओ कोई भी सामान नहीं बनाता था बल्कि सामान दूसरे राज्यों से मंगाए जाते थे और सिर्फ यहां सिर्फ उनकी पैकिंग की जाती थी.


बाहर के सामान पर सृजन का लेबल

एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि दूसरी जगहों से मंगाए गए सामान पर सिर्फ सृजन का लेबल लगा दिया जाता था. मतलब साफ है कि सिर्फ दिखावे के लिए एनजीओ था बल्कि इस एनजीओ का असली काम सरकारी पैसों के गबन का था.

नीतीश सरकार ने घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर पूरा सरकारी तंत्र 2003 से जारी इस घोटाले को पकड़ने में नाकाम क्यों रहा ?

भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि इस घोटाले से जुड़े सभी लोगों का पर्दाफ़ाश हो चुका है. आरोप है कि करोड़ों के इस घोटाले का जाल मनोरमा देवी ने अपने एनजीओ सृजन के जरिये रचा था. मनोरमा देवी की इसी साल फरवरी में मौत हो चुकी है. एनजीओ की मौजूदा सचिव मनोरमा की बहू प्रिया कुमार है जो फिलहाल फरार है. मनोरमा का बेटा और प्रिया का पति अमित कुमार भी फरार चल रहा है.

RJD ने नीतीश-सुशील पर लगाया आरोप

लालू यादव के बेट और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आरोप लगा रहे हैं कि सृजन घोटाले में बीजेपी-जेडीयू के तमाम बड़े नेता शामिल हैं और ये घोटाला नीतीश कुमार के इशारे पर हुआ है. आरजेडी घोटाले में उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप भी लगा रही है.

अब तक 10 लोग गिरफ्तार 

बिहार के 950 करोड़ के इस बड़े घोटाले में अब तक 10 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि ये घोटाला क्या सिर्फ उन्हीं लोगों तक सीमित है जो गिरफ्तार हो चुके हैं या जिनके नाम अब तक सामने आए हैं? या फिर इस घोटाले के तार कुछ ऐसे बड़े लोगों से भी जुड़े हो सकते हैं जो अब तक जांच के दायरे से बाहर हैं.