NGO Fraud Case: अपना एक आशियाना हो ये हर किसी का सपना होता है, जिसे लेकर लोग अपनी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई भी लगा देते हैं. कुछ ऐसा ही सपना हमारे देश की सरहदों पर तैनात रहने वाले सेना के जवानों ने भी संजोया था, लेकिन उनके इस सपने को एक गैर सरकारी संस्थान सैनिक वेलफेयर ऑर्गेनाईजेशन(एसडब्लूओ) ने अपने फरेब के जाल में फंसाकर इस तरीके से तोड़ दिया कि वे न केवल अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठे हैं, बल्कि उन्हें जमीन या फ्लैट भी रहने के लिए नहीं मिला है. आरोप है कि देश भर में हजारों जवानों से इस संस्थान ने ठगी की है. देश के अलग अलग हिस्सों में इस बाबत मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली में भी द्वारका जिले में लगभग 11 एफआईआर दर्ज हैं. इस संगठन के शिकार सैनिक(रिटायर्ड और सर्विंग) की मांग है कि सारे मामले ईओडब्ल्यू, ईडी या फिर किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी जाए ताकि गंभीरता पूर्वक जांच हो सके. फिलहाल पुलिस ने अलग अलग प्रोजेक्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की है, जबकि ठगी करने वाले एक ही हैं और कंपनी भी एक ही है.


द्वारका नॉर्थ थाने के बाहर एकत्र हुए सभी लोग देश की सरहदों पर तैनात रहने वाले सैनिक हैं. कुछ रिटायर हो चुके हैं, तो कुछ अभी भी देश के लिए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. सभी के साथ सैनिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन(एसडब्ल्यूओ) नामक एक संगठन ने ठगी की है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस संगठन को चलाने वाला एक पूर्व सैनिक ही है, जो लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से सेवानिवृत्त है और जिसका नाम राकेश राणा है. ठगी का शिकार हुए सैनिकों ने द्वारका जिला पुलिस से ये अनुरोध किया है कि सभी मामलों को क्लब करके दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दिया जाए.


मैं नेवी से रिटायर्ड हूं और फिलहाल आर्मी में कार्यरत हूं. हमने एसडब्ल्यूओ नामक एक एनजीओ के माध्यम से मकान खरीदने के लिए पैसा इन्वेस्ट किया था. एसडब्ल्यूओ नामक संस्थान सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी राकेश राणा चलाते हैं, जिसमें उनका पूरा परिवार भी संलिप्त है. राकेश राण को यह भली-भांति पता था कि एक सैनिक के क्या सपने होते हैं, उसका दायरा क्या होता है और सेना में काम करने वाला फौजी बाहरी दुनिया से भी कटा हुआ होता है. इसी का फायदा उठाते हुए राकेश राणा ने एक ऑर्गेनाइज फ्रॉड किया. जिसमें देश भर के हजारों सैनिकों को अपने झांसे में लिया. सैनिकों से वादा किया गया कि उनकी संस्था सैनिकों के लिए देशभर में यूपी, दिल्ली, ओडिशा, बिहार, बंगाल, पंजाब आदि 12 राज्यों के अंदर 35 से ज्यादा शहरों में अलग-अलग प्रोजेक्ट ला रही है. इन प्रोजेक्ट के माध्यम से सैनिक अपने लिए घर खरीद सकते हैं. सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी द्वारा चलाई जा रही इस एनजीओ पर मेरी तरह ही हजारों सैनिकों ने भी विश्वास किया और अपने रहने के लिए एक आशियाने का सपना संजोया. जिसके लिए अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग रकम अदा की. मैंने 9 लाख रुपये से ज्यादा इन्वेस्ट किए थे. जो भी इस संस्था के फेर में आया उसकी गाढ़ी कमाई इस संस्था के पास चली गई लेकिन जमीन का एक टुकड़ा भी किसी को नहीं मिला. राकेश राणा की एक बेटी जो इस कंपनी में शेयर होल्डर भी है, वह अमेरिका में जाकर बस चुकी है और वहां पर ट्रैवल एजेंसी चला रही है. 


इन लोगों ने एसडब्लूओ के साथ साथ एसडब्लू इंडिया लिमिटेड नामक एक कंपनी भी रजिस्टर करवाई. जमीन खरीदने वाले इक्छुक सैनिकों से इस कंपनी के नाम पर ड्राफ्ट लिए गए किसी ने 5 साल पहले, किसी ने 7 साल, किसी ने 8 साल तो किसी ने 10 साल पहले पैसा इन्वेस्ट किया था लेकिन आज तक निवेशक को न तो प्लॉट मिला, न फ्लैट और न ही 1 इंच जमीन का टुकड़ा. राकेश राणा ने द्वारका में ही इस कंपनी का ऑफिस खोला था. अधिकतर लोगों ने द्वारका स्थित ऑफिस में आकर ही पेमेंट की थी या एग्रीमेंट किया था. जिसने भी पैसा इन्वेस्ट किया था, उसे फुल पेमेंट के 3 महीने के अंदर प्लॉट देने का वादा किया गया था, लेकिन सालों बीतने के बाद भी किसी को कुछ नहीं मिला है. 


दिल्ली में द्वारका नॉर्थ थाने में जो एफआईआर हुई हैं, वे भी इंडिविजुअल की दर्ज हुई है. जबकि एक ही कंपनी ने सबके साथ ठगी की है, लेकिन पुलिस कहती है कि अलग अलग प्रोजेक्ट के हिसाब से मामला दर्ज किया जाएगा. पुलिस का ऐसा करने से इस ठग कंपनी के मालिकों को फायदा हो रहा है क्योंकि उनके खिलाफ कोई पेशेवर जांच एजेंसी जैसे ईओडब्ल्यू, ईडी आदि कार्रवाई नहीं कर रही है. हम दिल्ली पुलिस से ये दरख्वास्त भी कर चुके हैं कि इस मामले ईओडब्ल्यू को सौंप दिया जाए क्योंकि कई शिकायतकर्ता हैं और ठगी की रकम भी करोड़ों में है. अलग अलग प्रोजेक्ट बेशक हैं, लेकिन कंपनी एक ही है. हम लोगों ने कंज़्यूमर कोर्ट हो या रेरा, सिविल हो या क्रिमिनल मैटर सब कार्रवाई की है. देश की सेवा करने वाले सैनिकों के साथ ऐसा हो रहा है, बहुत दुख की बात है.


एसडब्लूओ नामक एनजीओ के फेर में फंसने वाले सैनिकों में अधिकतर रिटायर्ड हैं. कोई नेवी में कमांडर रह चुका है तो कोई सेना में सूबेदार. जो सर्विंग हैं वे भी अलग अलग पदों पर हैं. द्वारका नॉर्थ थाने के बाहर एकत्र हुए इन फौजियों की अपनी अलग अलग मजबूरियां हैं. किसी की बेटी की शादी होने वाली है, तो कोई अपनी बेटी की शादी करने की सोच रहा है. किसी को परिवार के भविष्य की चिंता है लेकिन अपनी गाढ़ी कमाई अब इनके पास नहीं है. अपने साथ हुई ठगी के बारे में बात करते हुए कोई भावुक होकर रोने लग जाता है.


इस कंपनी ने हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, यूपी के अलग अलग शहरों, बिहार, बंगाल आदि राज्यों में अलग अलग प्रोजेक्ट लॉन्च किए. हम सब लोग सेना में हैं और हम लोगों को या तो सीएसडी कैंटीन या वेबसाइट से इस कंपनी के बारे में पता चला. विश्वास के साथ हमने अपने आशियाने का सपना देखा और पैसा इन्वेस्ट किया. लेकिन हमें कुछ नहीं मिला. 10 हजार से ज्यादा सैनिकों के साथ ठगी हुई है. हजारों करोड़ रुपये ठगे गए हैं. ओडिशा में भी इस कंपनी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, उस मामले में ओडिशा की अदालत ने राकेश राणा को दोषी भी करार दे दिया है. लेकिन इसकी पत्नी, बेटियां, दामाद आदि जो कंपनी में शेयर होल्डर हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसकी एक बेटी अमेरिका जा चुकी है और हम लोगों की मेहनत की कमाई से वहां पर बिज़नेस कर रही है. हमें यहां अपनी बेटी की शादी करनी है या कुछ और जरूरी काम लेकिन हमारे पास पैसा नहीं है. अपने ही पैसे को हम ले नहीं पा रहे हैं. अब हमें धमकी भी दी जाती है. देश के फौजियों के साथ इस तरह का फ्रॉड करने वालों के खिलाफ ईडी, ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाएं जांच करें. हमें न्याय दिलाएं और हमारी रकम या फिर जमीन हमें दिलाई जाए.