New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार की रात भगदड़ क्यों मची? रेलवे स्टेशन पर ज्यादा भीड़, ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने का एनाउंसमेंट, ट्रेन के नाम का कंफ्यूजन या फिर कोई और वजह. अगर रेलवे ने लापरवाही न बरती होती तो शायद ये घटना न होती. इस भगदड़ के पीछे की 5 थ्योरी सामने आई हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

1- ज्यादा भीड़ की वजह से भगदड़ 

शनिवार की रात को महाकुंभ स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पहुंचे थे. रात को नई दिल्ली स्टेशन के अजमेरी गेट साइड वाले इलाके में भारी भीड़ थी. अजमेरी साइड से जो प्लेटफॉर्म हैं उन्हीं प्लेटफॉर्म से यूपी-बिहार जाने वाली गाड़ियां बनती है, जिस वक्त रात को ये हादसा हुआ उस वक्त 4 अलग-अलग प्लेटफॉर्म से प्रयागराज की तरफ गाड़ियां निकलने वाली थीं. स्टेशन पर सालों से काम करने वाले कुलियों और वेंडर्स का दावा है कि उन्होंने ऐसी भीड़ पहले कभी देखी नहीं थी. सवाल ये है कि इतनी भीड़ जब स्टेशन पर पहुंची तो फिर रेलवे प्रशासन ने समय रहते एक्शन क्यों नहीं लिया. भगदड़ जैसे हालात क्यों बने? रेलवे प्रशासन सवालों के घेरे में है. 

2- ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने का एनाउंसमेंट  

ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने का एनाउंसमेंट हुआ या नहीं ये सबसे बड़ा सवाल है. ये  जांच का विषय है. चश्मदीदों से लेकर भगदड़ के गवाह लोग बता रहे हैं कि रात 9 से 10 के बीच जो भगदड़ मची उसकी सबसे बड़ी वजह ट्रेन के प्लेटफॉर्म को बदलने का एनाउंसमेंट है. दावा ये है कि 12 नंबर प्लेटफॉर्म से प्रयागराज स्पेशल जाने वाली थी. 13 नंबर से स्वतंत्रा सेनानी एक्सप्रेस, 14 नंबर से प्रयागराज एक्सप्रेस और 15 नंबर से नई दिल्ली-बनारस एक्सप्रेस जाने वाली थी. इन चारों ट्रेन के जाने की टाइमिंग हादसे के घंटे-दो घंटे के आसपास की थी. मतलब चारों ट्रेन प्रयागराज की दिशा वाली थी. जनरल टिकट लेकर कुंभ जाने वाले लोग किसी भी ट्रेन में बैठकर जाने की तैयारी में थे. चश्मदीदों का दावा है कि प्रयागराज  जाने वाली स्पेशल ट्रेन 12 नंबर प्लेटफॉर्म से जाने वाली थी. स्पेशल ट्रेन के यात्रियों की भीड़ उस प्लेटफॉर्म पर थी, लेकिन भगदड़ से ठीक पहले एनाउंसमेंट हुआ कि स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 16 से जाएगी. नतीजा हुआ कि 12 नंबर पर खड़ी भीड़ भागने लगी. यहां तक कि दिल्ली पुलिस का भी कहना है कि प्लेटफॉर्म बदले जाने का एनाउंसमेंट किया गया, लेकिन रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर लगातार यही कह रहे हैं कि किसी ट्रेन का प्लेटफॉर्म नहीं बदला गया. 

इस थ्योरी में क्या है पेच? 

रेलवे कह रहा है कि 12 नंबर पर स्पेशल ट्रेन का एनाउंसमेंट हुआ तो 14 नंबर के यात्री उस तरफ भागने लगे जबकि चश्मदीद और कुलियों का कहना है कि 12 नंबर की स्पेशल को 16 नंबर से जाने का एनाउंसमेंट हुआ तो लोग उस तरफ दौड़े. सवाल तो ये है कि कहीं बारी बारी से दोनों एनाउंसमेंट तो नहीं हो गया, जिसकी वजह से अफरातफऱी मच गई.

3- ट्रेनों के नाम का कंफ्यूजन  

इसके अलावा तीसरी थ्योरी ट्रेनों के नाम का कंफ्यूजन भी तो हो सकता है. कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि प्रयागराज स्पेशल और प्रयागराज एक्सप्रेस नाम के कंफ्यूजन में लोग दौड़ने भागने लगे. अकसर ऐसा होता है कि रेलवे के एनाउंसमेंट के दौरान लोग पूरी बात सुनते नहीं और जब भीड़ एक दिशा में बढ़ती है तो लोग उसी दिशा को फॉलो करते हैं. प्रयागराज एक्सप्रेस 14 नंबर से जाने वाली थी, जबकि प्रयागराज स्पेशल 12 नंबर से जानी थी. बहुत मुमकिन है कि नाम के कंफ्यूजन में भीड़ इधर-उधर भागने लगी हो जिसकी वजह से भगदड़ मची हो.

4- पॉकेटमारी की घटना से अफरातफरी  

ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने का नाम सुनकर जब भीड़ प्लेटफॉर्म 14 से 16 की ओर भागने लगी तो ऐसे में रेलवे स्टेशन पर मौजूद चोरों और पॉकेटमारों की चांदी हो गई. उन्होंने यात्रियों की जेब काटकर अपनी जेबें भरनी शुरू कर दीं. चश्मदीदों का दावा है कि सीढियों पर चाकूबाजी और ब्लेडबाजी की घटना भी हुई.

5- यात्री के गिरने से भगदड़  

इसके अलावा 5वीं थ्योरी खुद रेलवे के सीपीआरओ ने दी है. उन्होंने कहा था कि जब भीड़ सीढ़ियों पर भाग रही थी तब किसी का पैर फिसला और लोग गिरने लगे, जिसकी वजह से हादसा हुआ.