नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों पर तीखा हमला बोला. खरगे ने कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक बदले की भावना से गढ़ा गया था, जिसमें कोई दम नहीं था. उन्होंने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 'हमेशा सत्य की जीत होती है.'
खरगे ने कहा कि बिना किसी ठोस आधार के कांग्रेस नेताओं और कई वरिष्ठ लोगों को परेशान करने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी परिवार को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया. खरगे ने कहा कि अदालत का यह फैसला नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मुंह पर तमाचा है. उन्हें इस्तीफा देकर यह कहना चाहिए कि भविष्य में वे जनता को परेशान नहीं करेंगे.
‘यह फैसला सत्यमेव जयते की मिसाल’कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'यह फैसला सत्यमेव जयते के नारे को साकार करता है. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं.' उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर ज्यादा नहीं बोलेंगे, क्योंकि पूरी जानकारी कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी पहले ही साझा कर चुके हैं. खरगे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी, लेकिन आज उसी नाम का इस्तेमाल कर गांधी परिवार को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय करार दिया.
अभिषेक मनु सिंघवी ने भी लगाए आरोपकांग्रेस राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह पूरा मामला द्वेष, लापरवाही और बिना अधिकार क्षेत्र की कार्रवाई की कहानी है. उन्होंने कहा, 'शोर बहुत था, लेकिन उसमें जोर नहीं था. सत्ता के दबाव में यह केस आगे बढ़ाया गया.'
‘ED ने घंटों पूछताछ कर मानसिक दबाव बनाया’सिंघवी ने बताया कि 2021 से 2025 के बीच ईडी ने राहुल गांधी से करीब 50 घंटे, मल्लिकार्जुन खरगे से 6 घंटे और सोनिया गांधी से 8 घंटे तक पूछताछ की. उन्होंने कहा कि इस दौरान कई बार संपत्तियां फ्रीज की गईं और तमाम हथकंडे अपनाए गए.
2014 से 2021 तक एजेंसियों ने खुद कहा-कोई अपराध नहींसिंघवी ने कहा कि यह मामला 2014 में शुरू हुआ था और 2014 से 2021 तक ईडी और सीबीआई की फाइलों में लिखा गया कि इसमें कोई ‘प्रेडिकेट ऑफेंस’ नहीं बनता. इसके बावजूद जून 2021 में अचानक एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई.
अदालत ने संज्ञान लेने से किया इनकारकांग्रेस नेता ने बताया कि अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और कहा कि मेरिट पर जाने की जरूरत ही नहीं है. उन्होंने कहा, 'जब कानूनी नींव ही नहीं थी, तो अदालत में मामला अपने आप गिर गया.' सिंघवी ने आरोप लगाया कि बिना एफआईआर के लगभग 80 घंटे तक कार्रवाई की गई, जो कानून और संविधान की भावना के खिलाफ है. उन्होंने इसे जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण बताया.
नई FIR पर भी जवाब देने का दावाउन्होंने कहा कि 3 अक्टूबर को एक नई एफआईआर दर्ज की गई है, जिसका कांग्रेस कानूनी तरीके से जवाब देगी, 'हम हर मंच पर सच सामने लाएंगे.' अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में न तो पैसे का कोई लेन-देन हुआ और न ही वित्तीय गड़बड़ी का कोई सबूत है. उन्होंने कहा कि यंग इंडियन कंपनी से न तो खरगे और न ही सोनिया गांधी ने कोई लाभ लिया है.
‘बच्चा भी समझ जाएगा यह मामला’- सिंघवीसिंघवी ने तंज कसते हुए कहा, 'एक केजी क्लास का बच्चा भी समझ जाएगा कि इस केस में कुछ नहीं है. अगर यह मामला न होता, तो लोग इस पर हंसते.' उन्होंने कहा कि यह केस सिर्फ राजनीतिक आरोपों के सहारे खड़ा किया गया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.