नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में मुस्लिम समाज में एक साथ तीन तलाक की प्रथा को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार दिया. इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सतर्कतापूर्ण रुख अपनाते हुए अपने पत्ते नहीं खोले. बोर्ड सरकार के साथ किसी तरह के टकराव और राजनीतिक बहस में पड़ने के पक्ष में नहीं है.


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बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, ‘‘अभी बोर्ड इस फैसले की समीक्षा करेगा. इसके बाद आगे की रणनीति तय होगी. एक बात साफ है कि बोर्ड किसी भी सूरत में सरकार के साथ टकराव या राजनीतिक बहस में नहीं पड़ना चाहता.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या बोर्ड की तरफ से 1980 के दशक के शाह बानो प्रकरण की तरह मुस्लिम समाज को लामबंद करने का कोई प्रयास किया जाएगा, तो इस सदस्य ने कहा, ‘‘उस वक्त के हालात अलग थे. इस बार के फैसले को हमें बड़े परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है. राजनीतिक बहस से कोई हल नहीं निकलने वाला है. सरकार और संसद कानून बनाएंगी तो उस वक्त हम अपनी बात रखेंगे.’’


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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है. सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के मत से सुनाए गए फैसले में तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया.


उधर, बोर्ड के एक दूसरे सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘‘जो लोग इस फैसले को पर्सनल लॉ बोर्ड की हार के तौर पर पेश कर रहे हैं, वो फैसले को गलत ढंग से लोगों के सामने रख रहे हैं. कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को गलत बताया है. उसने पर्सनल लॉ में दखल देने की बात नहीं की है.’’


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गौरतलब है कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अपनी अगली रणनीति आगामी 10 सितम्बर को भोपाल में होने वाली अपनी कार्यकारिणी बैठक में तय करेगा.