मुंबई: कोरोना वैक्सीन की दो डोज लेकर जिन्हें 14 दिन पूरे हो गए हैं, उन मुंबईकरों को अंतत: लोकल में सफर करने की छूट मिल गई है. 15 अगस्त से यह निर्णय लागू होगा. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को इसकी घोषणा की.


आम मुंबईकरों को मानो मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस का उपहार ही दे दिया है. लोकल मुंबईकरों की लाइफलाइन है. उनके दैनिक जीवन की सांस ही है. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण यह सांस बीते डेढ़ वर्षों से बीच में ही अटकी थी.


गत वर्ष कोरोना की पहली लहर में लगातार 6-7 महीने लोकल के दरवाजे आम मुंबईकरों के लिए बंद ही थे. सिर्फ अत्यावश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारियों को ही लोकल में सफर करने की अनुमति थी. परंतु पहली लहर खत्म होने पर महिलाओं व आम यात्रियों को निर्धारित समय के अनुसार लोकल में यात्रा करने की अनुमति दी गई थी.


14 अगस्त से लोकल के दरवाजे खुल जाएंगे


वहीं इसी साल के प्रारंभ में कोरोना की दूसरी लहर का झटका मुंबई सहित महाराष्ट्र को लगा और एक बार फिर अप्रैल में सख्त पाबंदियों व लॉकडाउन के अलावा राज्य सररकार के पास विकल्प नहीं बचा. आम नागरिकों की लोकल सेवा इसीलिए बंद कर दी गई. अब करीब साढ़े तीन महीने बाद कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेने वालों के लिए 14 अगस्त से लोकल के दरवाजे खुल जाएंगे.


कोरोना की दूसरी लहर काफी हद तक कम हो चुकी है. बीच के काल में कई लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है. इसलिए उन्हें तो लोकल में सफर करने की इजाजत दी जाए, ऐसी मांग उठ रही थी. उसमें गलत जैसा कुछ नहीं था. लेकिन अंतत: दूसरी लहर के भीषण तजुर्बे और भविष्य में संभावित खतरे के बारे में विचार करके ही सरकार द्वारा निर्णय लिए जाने की जरूरत थी. जल्दबाजी करके नहीं चलता.


कोरोना की दूसरी लहर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. उस पर तीसरी लहर की चेतावनी का नगाड़ा बज रहा है. इसलिए लोकल मुंबईकरों की जरूरत है, फिर भी हर तरफ से और खतरे के बारे में सोच-विचार कर ही निर्णय लेना उचित था. राज्य सरकार ने वही किया. आलोचना करने वालों का सिर्फ ‘जीभ लप-लपाकर कुछ भी बोल दिया’ इतना ही करना होता है. अंतत: जनता के जीवन की रक्षा, वे फिर से कोरोना के शिकंजे में न फंसें, इस बारे में सावधानी सरकार को ही बरतनी होती है.


वैक्सीनेशन पूरा नहीं हुआ है


कोरोना की तीसरी लहर की लटकती तलवार, लोकल के कारण बढ़ने वाली भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग के बंधन का उल्लंघन होने की आशंका और उससे कोरोना का प्रकोप दोबारा बढ़ने की आशंका, इन तमाम बातों पर विपक्ष विचार नहीं करता होगा तो राज्य की जनता का पालक कहलाने वाली सरकार को तो करना ही चाहिए. आम जनता के लिए भाग्यचक्र और व्यापार-उद्योग का चक्र निर्बाध शुरू रहना चाहिए लेकिन कोरोना की लटकती तलवार आज भी हमारे सिर पर है ही वह पूरी तरह हटी नहीं है और वैक्सीनेशन भी पूरा नहीं हुआ है.


मुंबई सहित महाराष्ट्र में ‘डेल्टा प्लस’ के मामले मिलने लगे हैं


केरल में कोरोना की तीसरी लहर ने झटका दिया ही है. दुनियाभर में कोरोना का ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट अब हाहाकार मचा रहा है. उस वैरिएंट के मरीज मुंबई सहित महाराष्ट्र में मिलने लगे हैं. कोरोना के इस ‘अलार्म’ को ध्यान में रखकर ही पाबंदियों से संबंधित निर्णय राज्य सरकार को लेना होगा. कोरोना वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोगों को मुंबई की लोकल में सफर की अनुमति, पुणे में पाबंदियों में और रियायत तथा कुछ अन्य निर्णय उसी प्रकार लिए गए हैं. कुछ लोगों को इसमें ‘मुश्किल’ लगता होगा तो कल कोरोना की स्थिति ‘बदतर’ होने की अपेक्षा सावधानी के साथ जीवन सुव्यवस्थित करना कभी भी सर्व हितकारी ही सिद्ध होगा. वर्तमान स्थिति में आवश्यक और हरसंभव हो, वही निर्णय राज्य सरकार ने लिया है.


आगे भी परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिए ही जाएंगे. परंतु अब पाबंदियां शिथिल होने के दौरान सरकार-प्रशासन सहित जनता की जिम्मेदारी बढ़ गई है. इसे ध्यान रखना चाहिए. ‘पाबंदी’ कम हुई और कोरोना फिर बढ़ा, ऐसा नहीं होगा, इसका भान सभी को रखना चाहिए.


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