Mumabi High Court: मुंबई (Mumbai) में लोगों की मौत के बाद उनको दफनाने की जगह की कमी पर चिंता जताते हुए बंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High court) ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि जब कब्रिस्तान (Cremation ground) के लिए शहर में जगह नहीं है, तो ऐसे में गगनचुंबी इमारतें बनाने का क्या मतलब है.


मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने स्थानीय नागरिक मोहम्मद फुरकान कुरैशी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. याचिकाकर्ता ने सुन्नी मुस्लिमों के लिए महानगर में अलग कब्रिस्तान बनाने का अनुरोध किया था.


क्या बोली महाराष्ट्र सरकार?
महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि ने अदालत से कहा कि मुख्यमंत्री ने हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए बांद्रा में अंतिम संस्कार स्थल बनाने के लिए जमीन आवंटित करने का फैसला किया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बाबत अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है. उन्होंने प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो हफ्ते का टाइम मांगा है.


जगह की कमी को लेकर हाईकोर्ट ने जताई चिंता
बॉम्बे हाइकोर्ट ने कहा कि यह गंभीर समस्या है. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि जब कब्रिस्तान (Cremation Ground) के लिए जमीन नहीं है तो ऊंची-ऊंची इमारतों (High Rise Ground) का क्या मतलब. आप ऊंची इमारतों की अनुमति देते रहते हैं और लोगों को यहां (मुंबई) आने के लिए कहते रहते हैं लेकिन यहां पर बुनियादी सुविधाएं नही हैं. अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का टाइम दिया है.


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