मुंबईः करीब डेढ़ महीने बाद ही महाराष्ट्र का सबसे बड़ा पर्व गणेशोत्सव शुरू होने वाला है, लेकिन इस बार इस त्यौहार में हर बार की तरह भव्यता और धूम-धड़ाका नजर नहीं आयेगा. कोरोना की वजह से मुंबई के तमाम गणेशोत्सव मंडलों ने इस बार छोटी-छोटी गणपति प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित करने का फैसला किया है. गणपति मूर्तियों के कारखानों में भी तीन फुट से छोटी मूर्तियां ही बनाई जा रही हैं.


मिट्टी से बनाई जा रही मूर्तियां


दक्षिण मुंबई के गिरगांव में मशहूर मूर्तिकार प्रफुल्लचंद्र बिलये का कारखाना है. हर साल की तरह उनके यहां इस बार भी मूर्तियों का निर्माण शुरू हो गया है. करीब 10 कारीगर सैकड़ों मूर्तियों को रंगने और उन्हें सजाने में जुटे हुए हैं. इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि सभी मूर्तियों का आकार 3 फुट से कम है.


बिलये के मुताबिक वे सभी मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस के बजाय मिट्टी की बना रहे हैं, ताकि उनका विसर्जन घर में भी आसानी से किया जा सके. कोरोना को देखते हुए उन्होंने सभी कारीगरों के रहने-खाने का इंतजाम कारखाने में ही कर दिया है और किसी भी कारीगर को बाहर जाने की इजाजत नहीं है.


गणपति प्रतिमाओं की बुकिंग के लिये आने वाले ग्राहकों का भी कारखाने के भीतर प्रवेश मना है. मूर्ति प्रत्यक्ष दिखाने के बजाय उन्हें तस्वीरों के जरिये अपनी पसंद की मूर्ति का चयन करने को कहा जाता है.


महाराष्ट्र सरकार ने गणपति मंडलों से की अपील


दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने गणपति मंडलों से अपील की है कि इस बार गणेशोत्सव सादगी से मनाया जाये. मूर्ति का आकार 4 फुट से ज्यादा न हो ताकि उसे उठाकर विसर्जित करने के लिये ज्यादा लोग न लगें. गणपति प्रतिमाओं के आगमन और विसर्जन का जुलूस भी न निकाला जाये.


गणेशोत्सव मंडलों की समन्वय समिति ने सरकार का सहयोग करने का फैसला किया है. कई मंडल, भक्तों के लिए लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये गणपति दर्शन का इंतजाम कर रहे हैं. गणेशोत्सव से पहले मनाया जाने वाला एक और बडा त्यौहार दही हांडी भी इस बार नहीं मनाया जायेगा.


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