Sarita Mali Gets Admission in US University: मुंबई की सड़कों पर कभी फूल बेचने वाली सरिता माली अब यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया (University of California) से पीएचडी (PhD) करने जा रही हैं. पीएचडी के लिए अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी में वो दाखिला पा चुकी हैं. वो मौजूदा वक्त में जेएनयू में भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी साहित्य में पीएचडी कर रही हैं. उन्होंने जेएयू से एमए और एमफिल की डिग्री ली है और जुलाई में वो पीएचडी जमा करेगी. सरिता मुंबई की झुग्गी में पैदा हुई थीं और नगर निगम के स्कूल में अपनी पढ़ाई की शुरुआत की थी.


फूल बेचने से लेकर अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी का सफर


सरिता माली (Sarita Mali ) के पिता उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले हैं वो रोजी रोटी की तलाश में मुंबई पहुंचे और वहां सड़कों पर फूल बेचने का काम शुरु किया. अपने पिता के साथ उनकी बेटी सरिता माली भी फूल-माला बेचा करती थीं. सरिता माली का मानना है कि हर किसी के जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं. हर किसी की अपनी कहानियां और पीड़ा होती हैं. यह तय होता है कि आप किस समाज में पैदा हुए और आपको जीवन में क्या मिलता है. दुर्भाग्य से या फिर सौभाग्य से मैं ऐसे समाज में पैदा हुई थी जहां समस्याएं मेरे जीवन का सबसे जरुरी हिस्सा थीं.


मुंबई की सड़कों पर पिता के साथ बेचती थीं फूल


पर्व और त्योहारों के दौरान सरिता अपने पिता के साथ फूल बेचा करती थीं. खासकर गणेश चतुर्थी, दिवाली और दशहरा जैसे बड़े त्योहारों पर वो इसे लेकर काफी उत्सुक रहती थी. यह काम उसने स्कूल के समय में अपने पिता के साथ किया. जब भी जेएनयू से वेकेशन पर जाती थीं तो फूलों की माला बनाती थीं. पिछले दो वर्षों से, महामारी के रूप में, उसके पिता का काम रुका हुआ था. 


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परेशानियों के बीच मेहनत का जज्बा


सरिता माली ने जन्म के बाद जब से होश संभाला है उसने केवल फूल देखे हैं. तो यह उनका समाज था जहां एक तरफ संघर्ष और दूसरी तरफ उम्मीद भी थी. परेशानियां भी थीं तो मेहनत और लगन का का जज्बा भी. सरिता का कहना है कि उनके परिवार के इसी जुनून और समर्थन ने उन्हें यहां तक ​​पहुंचाया है. सरिता माली के परिवार में उनके माता- पिता, बड़ी बहन और दो छोटे भाइयों सहित कुल 6 सदस्य हैं. एकमात्र रोटी कमाने वाला उसका पिता हैं. कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते उसके पिता जौनपुर के बदलापुर स्थित अपने घर चले गए थे. 


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