IPL Batting Case: मुंबई की सेशल कोर्ट ने साल 2013 में दुनिया की सबसे मशहूर लीग इंडियन प्रिमियर लीग (IPL) में सट्टा लगाने के आरोप में जेल में बंद दो आरोपियों को रिहा करने का फैसला सुनाया. सेशल कोर्ट ने इन दोनों को 9 साल बाद सबूतों के अभाव की वजह से रिहा कर दिया. 


मुंबई क्राइम ब्रांच ने क्या आरोप लगाए थे?


आज से 9 साल पहले मुंबई क्राइम ब्रांच ने इंडियन प्रिमियर लीग को लेकर क्रिकेट बेटिंग का एक मामला दर्ज किया था. उस दौरान क्राइम ब्रांच ने कई बड़े लोगों को गिरफ़्तार किया था और उसी मामले में दो व्यापारी संजय छाब्रा और संदीप छाब्रा के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया था. आरोप था कि 14 और 15 मई 2015 में जिस होटेल रूम से कथित तौर से बेटिंग चल रही थी, वो होटेल रूम इनके नाम पर बुक था.

मुंबई पुलिस ने यह भी आरोप लगाया था कि दोनों लोग मैच फ़िक्सिंग में कुछ लोगों के साथ शामिल थे, जिसने अंतरराष्ट्रीय अंपायर अशद राऊफ़ का भी नाम है और ये लोग कथित तौर से एक दूसरे के सम्पर्क में थे. मामला कोर्ट में गया तो दोनों व्यापारियों को निचली अदालत से राहत नहीं मिली थी और इसी आदेश को चैलेंज करने के लिए उन्होंने सेशन कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.


सेशन कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

सेशन कोर्ट ने उन्हें डिस्चार्ज करते समय अपने फैसले में कहा कि कथित मैच फिक्सिंग पर आरोपियों के बीच कुछ बातचीत ऐसे मामलों के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इंटरसेप्ट नहीं की गई थी और इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. रऊफ और दोनों आरोपियों के बीच कथित बातचीत पर कोर्ट ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया कि उनके बीच क्या बातचीत हुई थी. रऊफ और एक आरोपी के बीच एक मैसेज में बातचीत हुई है, जिसमें कहीं भी यह नहीं दिखा कि सट्टेबाजी के लिए कोई अमाउंट तय की गई थी.


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