नई दिल्ली: दिल्ली के नेहरू विहार में किराए पर रहने वाले छात्रों का प्रोटेस्ट जारी है. इलाके में छात्र हज़ारों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे हैं. मामला ये है कि घर छोड़ने के बाद सिक्योरिटी मनी वापस लेने गए एक छात्र को मकान मालिक ने पैसे देने से मना कर दिया जिसके बाद छात्रों, प्रॉपर्टी डीलर्स और मकान मालिकों के बीच मार पीट हुई. अब छात्र इलाके में रेंटल लॉज़ की मांग कर रहे हैं. इसी बीच बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस विवाद में कूद पड़े हैं और छात्रों को अपना समर्थन दिया है.
तेजस्वी ने की दिल्ली पुलिस की खिंचाई तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, "दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में स्थानीय लोग और दिल्ली पुलिस मिलकर यूपी-बिहार के छात्रों को पीट रहे हैं. दिल्ली पुलिस स्थानीय लोगों और प्रॉपर्टी डीलरों से मिलीभगत कर उनका हर प्रकार से शोषण करवा रही है. छात्रों की समस्याओं और शिकायतों पर पुलिस को त्वरित सुनवाई और कार्रवाई करनी होगी." आपको बता दें कि इलाके में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे ज़्यादातर छात्र बिहार और यूपी जैसे राज्यों से आते हैं.
यूपीएससी की तैयारी कर रहे हज़ारों छात्र दिल्ली के नेहरू विहार, मुखर्जी नगर, गांधी विहार इत्यादि जगहों पर रहते हैं. यहां रहने वाले कई छात्रों का कहना है कि इस जगहों पर प्रॉपर्टी डीलर्स और मकान मालिक के छात्रों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनसे मनमर्ज़ी दाम वसूलते हैं और बदले में कोई सुविधा या ज़िम्मेदारी नही उठाते.
मकान मालिकों ने बनाए हैं छात्रों के लिए बेहद कठोर नियम
- कमरा जिन छात्रों को दिया जाएगा केवल वही रहें, 11 महीने तक कमरे का तय किराया दिया जाएगा जो इसके बाद बढ़ जाएगा.
- अगर कोई लड़का-लड़की साथ रहते हैं तो इसकी पुष्टि मां-बाप से की जाएगी.
- किसी के कमरे में बिना मकान मालिक या प्रॉपर्टी डीलर की अनुमति के कोई नहीं रुकेगा.
- छात्रों की सुरक्षा के लिए नेहरु विहार के चुनिंदा छात्र, आरडब्ल्यूए, नेहरु विहार प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन और पुलिस की हर सप्ताह मीटिंग होगी.
- छात्र अपना रेंट अग्रीमेंट रजिस्टर कराएगा.
- अनरजिस्टर्ड ब्रोकर इलाके में काम नहीं करेंगे.
- रात के 10 बजे के बाद डीजे या लाउडस्पीकर की इजाजत नहीं होगी.
रेंटल लॉज़ की मांग कर रहे हैं छात्र अधिकतर छात्र यहां यूपीएससी की तैयारी करने के लिए अलग-अलग प्रदेशों से आए हैं और उनकी मांग है कि यहां रेंटल लॉज़ होने चाहिए. छात्रों की ये मांग भी है कि उन्हें सुरक्षा दी जाए. छात्रों ने कहा कि रेंट को लेकर कोई नियम कानून नहीं है और आम कीमत से 3-4 गुना ज्यादा दाम लिया जाता है. वहीं, सिक्योरिटी वापस नहीं दी जाती. बातचीत के दौरान एक लड़की ने कहा कि शाहजहांपुर से यूपीएससी की तैयारी करनी आयी हूं, यहां सिक्योरिटी नहीं मिलती और आते जाते लोग ईव टीजिंग करते हैं. वहीं लक्मन नाम के एक और छात्र ने कहा कि इलाके में अक्सर छात्रों के ऊपर हमला होता है.
सिक्योरिटी मनी को लेकर हुआ बवाल आपको बता दें कि सिक्योरिटी मनी लेने पहुंचे एक छात्र को मकान मालिक ने जब पैसे देने से मना कर दिया तो मकान मालिक और छात्रों की बीच हाथपाई हो गयी. एक छात्र एकलव्य राय ने कहा, "जब हम रूम छोड़ते हैं तो जो सिक्योरिटी का पैसा है वो नहीं दिया जाता. इस बार भी यही हुआ. यहां रहने वाला एक छात्र सिक्योरिटी मनी लेने गया तो मालिक ने पैसा लौटाने से मन कर दिया जिसके बाद मामला ज़्यादा बढ़ गया."
डंपी नाम के डीलर से हुआ है विवाद जिस डीलर के साथ छात्रों का झगड़ा हुआ है उसका नाम डम्पी है. आपको बता दें कि यहां के ब्रोकर और मकान मालिक किरायदारों को पक्की रसीद तक नहीं देते हैं. वहीं कमरों की हालत ऐसी बदहाल होती है कि 11,000 के डबल ऑक्यूपेंसी रूम भी स्टोर रूम जैसे लगते हैं. इसी सिलसिले में चार साल से यहां रह रहे एक छात्र का कहना है कि 11,000 रुपए में 10/8 का कमरा मिलता है. कहीं कोई खिड़की नहीं होती और ऐसा लगता है काला पानी की सज़ा भुगत रहे हैं.
कई तरह की मनमानी करते हैं मकान मालिक सबसे बड़ी बात ये है कि किराए के लेन-देन में कोई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन नहीं और मकान मालिक और ब्रोकर सिर्फ कैश लेते हैं जिसकी रसीद नहीं देते. कई बार तो बच्चे सिक्योरिटी मनी मांगने जाते ही नहीं हैं क्योंकि इसे लेकर बहुत आनाकानी होती है. वहीं, बिजली बिल जितना आता है मकान मालिक उससे ज़्यादा लेता है जैसे अधिकतम 8 रुपये प्रति यूनिट दर है लेकिन अगर 50 यूनिट से कम बिल भी आए तो भी 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से चार्ज किया जाता है. यानि सिर्फ एक पंखे वाला भी 1000 रुपए तक का बिल देते हैं.
छात्रों ने की हैं कई मांगें आपको बता दें कि दिल्ली में 1958 में दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट लागू हुआ है लेकिन इसके लागू ना होने की वजह से इस एक्ट का कोई मतलब नहीं है. दुनिया के अमेरिका, ब्रिटेन, निदरलैंड जैसे देशों में छात्रों को 30 से 40% डिस्काउंट पर घर मिलता है. इन्हीं वजहों से प्रोटेस्ट करने वाले छात्रों की मांगें हैं कि कमरा किराये पर लगाने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और कानून सम्मत हो. कोर्ट से रेंट एग्रीमेंट बने जिसमें मकान का किराया, मकान का आकार, मकान में उपलब्ध सुविधाएं, सुरक्षा राशि, ब्रोकरेज राशि सबका साफ जिक्र हो.
वहीं, रूम रेंट के बदले में पक्की रसीद देना अनिवार्य हो. रसीद में मकान मालिक का पैन नंबर भी दर्ज हो ताकि किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो पाए. रूम रेंट की राशि कैश के बजाय चेक या ऑनलाइन भुगतान के रूप में स्वीकार की जाए, रूमरेंट मनमाना न हो, सर्किल रेट के हिसाब से किराया तय हो, बिना खिड़की वाले 15 गज के कमरों का किराया 10,000 रुपये हर महीने को आधा किया जाए या सर्किल रेट के हिसाब से किराया तय हो जिससे 3-4 गुना अधिक किराया वसूला जा रहा है.
बिजली बिल के भुगतान में मकान मालिक दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित दर की बजाय 8 रुपये प्रति यूनिट से चार्ज करते हैं. यह व्यवस्था समाप्त हो और सरकारी दर से ही छात्रों को भुगतान की सुविधा मिले.
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