Madhya Pradesh Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी ने कांग्रेस को करारी मात दी है. राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने बहुमत के आंकड़े 116 से अधिक 164 सीटों पर जीत दर्ज की है. दूसरी ओर कांग्रेस सिर्फ 65 सीट पर सिमट गई है. राज्य में कांग्रेस के जिन नेताओं की शिकस्त हुई है उसमें इंदौर -1 से चुनाव लड़ने वाले संजय शुक्ला का नाम सुर्खियों में है.


मध्य प्रदेश कांग्रेस में संजय शुक्ला उन नेताओं में शामिल हैं जो पार्टी के सबसे विश्वस्त सिपहसलार माने जाते हैं. पार्टी उन पर आंख मूंद कर भरोसा करती है. अब जबकि मध्य प्रदेश चुनाव के परिणाम स्पष्ट हो गए हैं. इंदौर 1 विधानसभा सीट से उन्हें बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय ने 57939 वोटों के अंतर से हराया है. 


हार स्वीकार लेकिन धांधली के लगाए आरोप
संजय शुक्ला ने अपनी हार तो स्वीकार की है, लेकिन धांधली के भी आरोप लगाए हैं. एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा है, "जनता ने जो जनादेश दिया है, वह मुझे स्वीकार है."


मतगणना में हेर फेर की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, "जिन क्षेत्रों से मैं लीड कर रहा था या जिन मतदान केंद्रों से जीता हूं, वहां पुरुषों के वोट तो मुझे मिले हैं लेकिन महिलाओं के वोट नहीं मिले. ऐसा कभी नहीं होता है कि परिवार के लोग अलग-अलग वोट दें."


हालांकि उनसे जब पूछा गया कि इस तरह की धांधली के खिलाफ उन्होंने कहीं कोई शिकायत दर्ज कराई है या नहीं, तो इसके जवाब में संजय शुक्ला ने कहा कि फिलहाल कहीं कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. जनता का जनादेश मुझे स्वीकार है."


हार के कारणों को समझने के लिए आत्म मंथन करेगी पार्टी
राज्य में कांग्रेस की हार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि क्यों पार्टी हारी है, इस बारे में हम लोग बैठकर मंथन करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी सूबे में विपक्ष की भूमिका बखूबी निभाएगी.


मतगणना से पहले कमलनाथ ने बुलाया था भोपाल


आपको बता दें कि इंदौर-1 सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय में संजय शुक्ला को करारी शिकस्त दी है. हालांकि रविवार (3 दिसंबर) को मतगणना शुरू होने से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने संजय शुक्ला को भोपाल बुला लिया था. शुक्ला उन नेताओं में शामिल हैं जो राज्य में पार्टी की हर रणनीति के सूत्रधार रहे हैं.


पार्टी सूत्रों ने बताया था कि मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस विधायकों को संभावित तौर पर तोड़ने की कोशिश रोकने के लिए शुक्ला को जिम्मेदारी दी गई थी. विधायकों को किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट किए जाने की योजना थी, जिन्हें ले जाने और सुरक्षित रखने का काम संजय शुक्ला को दिया जाना था. हालांकि दोपहर बाद जब पार्टी की हार स्पष्ट होने लगी थी तो इस तरह की कोशिशों की जरूरत नहीं पड़ी.


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