नई दिल्ली: विदेशों में फंसे भारतीयों का वतन वापसी अभियान 7 मई से शुरू हो रहा है. करीब एक हफ्ते तक चलने वाले इस अभियान में फिलहाल 64 उड़ानों और कुछ नौसैनिक पोत के जरिए लोगों को वापस पाने की तैयारी गई. ये सेवा सबके लिए मुफ्त में नहीं होगी. लोगों को इसके लिए किराया देना होगा. वापसी में उन लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है जिनके साथ मजबूरी है.


मुख्य बातें




  • एक सप्ताह में 64 उड़ानों के जरिए देश के 10 सूबों में वापस लौटेंगे 14.5 हज़ार से अधिक भारतीय.

  • सबसे ज़्यादा 15 फ्लाइटें केरल पहुंचेंगी. दिल्ली-एनसीआर और तमिलनाडु के लिए 11, तेलंगाना 7 और गुजरात 5 उड़ानें पहुंचेंगी.

  • पहले दिन 10 उड़ानें 8 मुल्कों से 2300 लोगों का लेकर आएंगी.

  • पहले सप्ताह में बांग्लादेश से करीब 600 जम्मू-कश्मीर के 600 नागरिकों की भी वापसी होगी जिनमें कई छात्र शामिल हैं.

  • सबसे ज्यादा 2100 नागरिक अमेरिका से लाए जाएंगे. वहीं संयुक्त अरब अमीरात से 1600 नागरिक लौटेंगे.

  • वापसी प्लान में प्राथमिकता उन लोगों को दी जा रही है जिनके साथ कोई मजबूरी या मुश्किल है

  • खड़ी देशों के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपीन्स जैसी पूर्वी एशियाई मुल्कों और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से भी पहले दौर की फ्लाइट में लोगों को लाया जा रहा है.

  • मालदीव से भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत 700 भारतीय नागरिकों को लेकर आएगा यह पोत 8 मई को माले से कोच्चि के बीच चलेगा. नौसेना पोत के जरिए होने वाली यात्रा का खर्च सरकार वहन करेगी.

  • सबके लिए वतन वापसी का यह सफर मुफ्त नहीं होगा. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक, लंदन से मुंबई आने वाले व्यक्ति को 50 हज़ार और शिकागो से दिल्ली आने वाले शख्स को 1 लाख रुपये देने होंगे.


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