Gujarat Morbi Bridge Collapse: लाशें बिछ गईं, मातम पसर गया और पूरा देश सदमे से रोता रहा. लेकिन जब कार्रवाई की बात आई तो सिस्टम को पुल के गार्ड आरोपी नजर आए, सिस्टम को क्लर्क गुनहगार दिखाई पड़ा. वो दिखाई नहीं दिया जिसकी वजह से झूलता पुल मौत का पुल बन गया.


मोरबी पुलकांड में रविवार को 134 लोगों की जान चली गई. नगरपालिका ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. जिला प्रशासन बगलें झांक रहा है और राज्य सरकार खानापूर्ति में लगी है लेकिन अहम सवाल अब भी यही है कि असली गुनहगारों पर शिकंजा कब कसा जाएगा? 10 सेकेंड में 143 पुराना केबल ब्रिज डेथ ब्रिज बन जाएगा ये किसी ने सोचा भी नहीं था.


इस हादसे कई खौफनाक तस्वीरें भी सामने आईं, उनमें एक तस्वीर में हादसे से ठीक पहले पुल पर कई युवक चहलकदमी करते दिखे. हैंगिंग ब्रिज होने की वजह से लोग पुल को हिला भी रहे थे.  पुल हिलाते हुए अचानक पुल टूटकर नीचे गिर गया.


मोरबी हादसे ने बुझाए कई घरों के चिराग


पुल के दो टुकड़े हो गए और पलक झपकते पुल पर सवार लोग पानी में समाने लगे. तस्वीरें हैं जो रोंगटे खड़े करने वाली हैं. मोरबी में केबल ब्रिज टूटने से 134 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. कई लोगों के घरों के चिराग बुझ गए तो कई महिलाओं की कोख सूनी हो गई.


खूब हो हल्ला मचा. रेस्क्यू के लिए सेना, एनडीआरएफ की टीमें सब उतार दी गई. पुल की देखरेख करने वाली कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया और SIT गठित कर जांच शुरू कर दी गई. पुलिस ने भी बड़ी चालाकी से उन लोगों को पकड़ा जो कंपनी के मालिक के इशारे पर वहां झूलते पुल के सिस्टम को चला रहे थे. पुल मैनेजर, 2 कॉन्ट्रेक्टर, 3 गार्ड, 3 टिकट क्लर्क को पकड़कर अपना पीठ थमथपा रही है. लेकिन अब भी अहम सवाल ये है कि देखरेख करने वाली कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. इसके साथ ही जिस कंपनी के मालिक क्यों अब भी गिरफ्त से बाहर हैं?


जयसुख पटेल की गिरफ्तारी कब?


अब सवाल ये है कि क्या जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है वही इस कांड के जिम्मेदार हैं या फिर ओरेवा कंपनी के मालिक भी हैं. ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मोरबी नगर पालिका के उपाध्यक्ष ने पहली बार abp न्यूज से बातचीत में कंपनी के मालिक जयसुख पटेल का नाम लेकर उसे जिम्मेदार ठहराया.


जब एबीपी न्यूज़ ने इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. मोरबी नगर पालिका के वाइस प्रेसिडेंट जयराज सिंह जडेजा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में जयसुख पटेल का नाम लिया. यही वो शख्स है जो ओरेवा कंपनी का मालिक है, जिसने नगरपालिका से बिना NOC लिए ही धूमधाम से फीता काटकर 24 अक्टूबर को पुल खोल दिया था, यही वो आदमी है जिसने मोरबी के डीएम को लिख कर दिया था कि अनहोनी की जिम्मेदारी इनकी होगी.


यानी डीएम को जयसुख पटेल की सब जानकारी थी, लेकिन अफसोस FIR में जयसुख पटेल का नाम ही नहीं है. अब सवाल ये है:



  • सवाल नंबर 1: सबूत के बावजूद ओरेवा कंपनी के मालिक पर FIR क्यों नहीं?

  • सवाल नंबर 2: पुल खुलवाने वाले जयसुख का नाम FIR से बाहर कैसे?

  • सवाल नंबर 3: जयसुख पटेल के दावे के बाद भी पुल टूटताहै तो FIR से उसका नाम गायब क्यों ?

  • सवाल नंबर 4: FIR से असली मालिक का नाम गायब और कारिंदों पर कार्रवाई - ऐसा क्यों ?


जाहिर है ये कुछ अहम सवाल हैं जिनमें छिपे हैं मौत के पुल के राज और मोरबी हादसे के जिम्मेदार के नाम. इस घटना के पीड़ितों को जहां इंसाफी की आस है तो वहीं दूसरी तरफ इस घटना के असली दोषियों पर अब तक कार्रवाई न होने से भी कई सवाल उठ रहे हैं.


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