Supreme Court On Morbi Bridge Accident: प्रीम कोर्ट ने गुजरात में मोरबी पुल हादसे की सीबीआई जांच (CBI Investigation) और इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को ज्यादा मुआवजा देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार (21 नवंबर) को एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मोरबी पुल हादसे की CBI जांच और अधिक मुआवजे की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने दुर्घटना में मारे गए 2 लोगों के रिश्तेदार दिलीपभाई चावड़ा के वकील गोपाल शंकरनारायण से कहा कि गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) पहले से सुनवाई कर रहा है. आप वहां अपनी मांग रखें. 

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह याचिकाकर्ता की तरफ से उठाए गए इन मुद्दों पर भी विचार करे, जिसमें मामले की स्वतंत्र जांच, नगरपालिका अधिकारियों की जवाबदेही कार्रवाई, मेंटेनेंस देखने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के बड़े लोगों पर कार्रवाई, बढ़ा हुआ मुआवजा शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट नियमित सुनवाई कर मामले की जांच और दूसरे पहलुओं पर नज़र बनाए रखे. 

याचिका में लगाया गया ये आरोप

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दुर्घटना में मारे गए 2 लोगों के रिश्तेदार दिलीपभाई चावड़ा ने दाखिल की थी. चावड़ा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण का कहना था, "घटना के होते ही पुलिस ने जल्दबाजी में FIR दर्ज कर ली. सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है. मामले में नगरपालिका के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, लेकिन उनकी जवाबदेही तय नहीं की जा रही. अजंता मैन्युफैक्चरिंग इस तरह के काम को संभालने के योग्य कंपनी नहीं थी, लेकिन उसे ठेका दिया गया. इस कंपनी के बड़े लोगों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है."

मुआवजा नहीं मिलने पर जताई नाराजगी

शंकरनारायण ने आगे कहा, "दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख और मुख्यमंत्री की तरफ से 4 लाख रुपये का मुआवजा मिला है. खेल में उपलब्धि हासिल करने वाले लोगों को इससे बहुत ज़्यादा बड़ी रकम दी जाती है. क्या सरकार की लापरवाही से जान गंवाने वाले लोगों की ज़िंदगी का यही महत्व है?" वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि गुजरात में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. इसलिए भी ज़रूरी है कि निष्पक्ष जांच का आदेश दिया जाए.

याचिकाकर्ताओं से हाई कोर्ट में बात रखने को कहा

सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच मामले पर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है. वह सभी पहलू देख सकती है. कोर्ट याचिकाकर्ता से कहें कि वह हाई कोर्ट में अपनी बात रखें. इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "47 बच्चों समेत 141 लोगों की मौत का यह मामला निश्चित रूप से ऐसा है जिसमें न्यायिक दखल की ज़रूरत है. चूंकि, हाई कोर्ट इसे सुन रहा है. इसलिए, हम सिर्फ याचिकाकर्ता की तरफ से उठाए गए कुछ बिंदुओं का उल्लेख कर रहे हैं, जिन पर विचार की ज़रूरत है."

सुनवाई के अंत में मामले पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी ने भी अपनी बातें रखने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट सभी बातों को देखने मे सक्षम है. याचिकाकर्ता चाहे तो वहां याचिका दाखिल कर सकता है.

इसे भी पढ़ेंः- Shraddha Murder Case: आफताब ने कहासुनी में की थी श्रद्धा की हत्या, बाद में शव को ठिकाने लगाने का बनाया प्लान