Monsoon 2023: इस साल देश में मानसून को लेकर काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले. अगर जून महीने से लेकर सितंबर महीने तक की बात की जाए तो मानसून में जून में 9 प्रतिशत की कमी देखी गई तो वहीं जुलाई महीने में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके अलावा अगस्त महीने में फिर मानसून में कमी देखने को मिली और यह कमी सबसे अधिक 36 प्रतिशत की थी. वहीं सितंबर में दोबारा मानसून में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली. 


एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये बात पूरी तरह से समझ नहीं आ रही है कि इस उतार-चढ़ाव वाले पैटर्न के पीछे वजह क्या है, लेकिन ये आने वाले समय के लिए संकेत है. मौसम विभाग ने देश भर में इस साल सामान्य बारिश का अनुमान लगाया है, जो बारिश के दीर्घावधि औसत यानी एलपीए के 94 से 106 प्रतिशत के बीच माना जाता है. जुलाई के लिए एलपीए 280.4 मिलीमीटर है. 


अल नीनो तेजी से पकड़ रहा रफ्तार
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अल नीनो काफी तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है जो कि चिंता की वजह हो सकता है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्ल्यूएमओ ने कहा था कि 7 साल में पहली बार उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में अलनीनो की स्थिति बनी है. इसके पीछे कारण तापमान में बढ़ोतरी और बदले मौसम की स्थिति है. 


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम राजीवन ने कहा कि मानसून भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफी जरूरी है, जहां भारत का 51 प्रतिशत कृषि क्षेत्र बारिश से सिंचित होता है. देश की लगभग 47% आबादी  कृषि पर निर्भर है. मानसून में ये उतार-चढ़ाव न केवल किसानों की बुआई और कटाई के लिए बल्कि बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बन गया है जो कि आने वाले समय के लिए सही नहीं है. 


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